विगत 24 वर्षों में सिमडेगा खेल की नगरी के रूप में हुआ विकसित, अब पर्यटन हब बनने की है तैयारी
आशीष शास्त्री/न्यूज़11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: सिमडेगा जिला आज 24 वर्ष पूर्ण कर 25 वें वर्ष में प्रवेश कर गया. 30 अप्रैल 2001 को सिमडेगा गुमला जिला से अलग होकर एक जिला के रूप में अस्तित्व में आया था. आज जिले का स्थापना दिवस है. वर्ष 1915 में सिमडेगा की पहचान एक अनुमंडल के रूप में थी.तब अंग्रेजों के शासनकाल यहां का विकास एक सीमित रूप में चल रहा था. तब सिमडेगा रांची जिला का हिस्सा था. उसके बाद 15 अगस्त 1947 को जब भारत देश अंग्रेजों के गुलामी से आजाद हुआ. तब अनुमंडल कार्यालय जो वर्तमान में भी मौजूद है. इसके प्राचीर पर आजाद भारत का तिरंगा फहराया गया. जिसके बाद सिमडेगा के विकास की गति को नया बल मिला. 18 मई 1983 में सिमडेगा जिला अनुमंडल के रूप में गुमला जिला का हिस्सा बना. जिसके बाद सिमडेगा विकास की दिशा में कई नए कदम बढ़ाए.
लेकिन 15 नवंबर 2000 में झारखंड अलग राज्य बनने के बाद वर्ष 2001 के 30 अप्रैल को जब सिमडेगा जिला के रूप में अस्तित्व में आया तब इसके प्रगति के राह विस्तृत होने लगी. एक जिला के रूप में सिमडेगा दिनों दिन प्रगति करना शुरू किया. शहर से दुर समाहरणालय का निर्माण तत्कालीन उपायुक्त सुरेन्द्र सिंह मीणा के निर्देशन में हुआ.झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबुलाल मंराडी ने खुद यहां के समाहरणालय की नींव रखी और एक उजाड और वीरान जगह खुबसुरत हो गया. जिला बनने के बाद सिमडेगा में सुविधाएं भी बढने लगी. लंबे समय से बिजली की समस्या से जुझते सिमडेगा में बीरू ग्रीड की स्थापना जिला के लिए वरदान साबित हुआ. जिला बनने के बाद यहां के किसानों के लिए सिंचाई सुविधा बढने लगी. कांसजोर और रामरेखा जलाशय परियोजना क्षेत्र के किसानों के लिए कारगर साबित होने लगी और जिला हरित क्रांति की तरफ अग्रसर हो गया.
सिमडेगा जिसकी धरती हॉकी खिलाडियों को जन्म देती है. यहां शुरू से हॉकी लोगों का जुनून रहा. हॉकी के क्षेत्र में सुविधाएं बढने लगी एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम यहां खिलाडियों को मिला तो धीरे धीरे सिमडेगा हॉकी की नर्सरी के रूप में अपनी पहचान बनाने लगी. जिला बनने के बाद यहां खेल के प्रति समर्पित इग्नेश तिर्की, कैलाश राम, ओम प्रकाश अग्रवाल और श्याम सुंदर मिश्र जैसे जुझारू लोगों ने हॉकी संघ की शुरूआत की. इनका बोया बीज आज एक बडा वटवृक्ष बन गया. वर्ष 2021 में तत्कालीन उपायुक्त सुशांत गौरव के प्रयास से सिमडेगा में नेशनल स्तर के दो हॉकी चैंपियनशिप आयोजित हुए. इन चैंपियनशिप का आयोजन इतना सफल रहा कि सिमडेगा की पहचान एक बेहतर खेल आयोजक के रूप में पुरे विश्व पटल पर बन गई.
सिमडेगा के पूर्व उपायुक्त सुशांत गौरव के कार्यकाल में सिमडेगा के विकास को एक नया आयाम मिला और सिमडेगा अकांक्षी जिला के रूप में पुरे देश में तीसरे नंबर पर आई. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात करते हुए उपायुक्त सुशांत गौरव के कार्यों को सराहा और हौसलाअफजाई की. जिला के विकास के प्रति जुझारू रहे उपायुक्त सुशांत गौरव ने सिमडेगा में स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के सपने को भी सकारात्मक किया साथ हीं यहां के खेल की प्रगति को देख मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक इंटरनेशनल एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम की सौगात भी सिमडेगा को दी है. जो अभी निर्माण की प्रक्रिया में है. हॉकी के साथ सिमडेगा फुटबॉल, कुश्ती और क्रिकेट जैसे खेलों में भी भी आगे बढने लगा है. साथ हीं यहां अन्य खेलों को भी बढावा देते हुए सिमडेगा को खेल की नगरी बनाने की दिशा में सभी का भरपूर साथ मिला. देश को सलीमा, सिलबानुस और माईकल किंडो जैसे ओलंपिक खिलाड़ी देने वाला सिमडेगा आने वाले समय में ना सिर्फ खेल की नगरी बल्कि ओलंपिक खिलाडियों के नगरी के रूप में अपनी पहचान बना ले यही कामना हम सबकी है.
सिमडेगा जिला 24 वर्ष पूर्ण कर परिपक्व होते हुए अब पर्यटन हब बनने की तैयारी में है. जिले के वर्तमान डीसी अजय कुमार सिंह ने सिमडेगा जिले में पर्यटन विकास के क्षेत्र में कई राह प्रशस्त की है. सिमडेगा के रामरेखा धाम मेला को राजकीय मेला का सम्मान मिला और रामरेखा धाम के पर्यटन विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा सहयोग भी मिला है. इसके अलावा जिले के दानगद्दी, केतुंगा, अंजान पीर शाह बाबा मजार, भंवर पहाड़ गढ़ सहित दर्जनों पर्यटन स्थल के विकास के लिए डीसी अजय कुमार सिंह ने राह प्रशस्त किए. एक तरफ जिला प्रशासन लगातार सिमडेगा को प्रगति प्रदान कर रहा है. दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन सिमडेगा को अमन और शांतिपूर्ण जिला बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है. आने वाले वर्षों में खेल की नगरी सिमडेगा पर्यटन हब के रूप में भी अपनी अमिट छाप दुनिया के पटल पर बनाएगा.