प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: देवचंदा मोड़, बरही स्थित श्रीदस इंटरनेशनल स्कूल में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व, रोशन कुमार का भव्य स्वागत किया गया. जिन्होंने 22 साल की छोटी उम्र में जेपीएससी में 340वां स्थान हासिल कर नेत्रहीन श्रेणी में अपनी मेहनत का परचम लहराया. आंखों की रोशनी कम होने के बावजूद रौशन ने अपनी इस चुनौती को अवसर में बदला और तीसरी सरकारी नौकरी हासिल की. इससे पहले वे पोस्ट ऑफिस और एसएससी सीजीएल की परीक्षा पास कर सांख्यिकी पदाधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. अब वे जेपीएससी के तहत वित्त विभाग में कार्यरत होंगे.
श्रीदस इंटरनेशनल स्कूल में रोशन का स्वागत प्रिंसिपल के. कुमार और स्कूल मैनेजर विकास सिंह ने गुलदस्ता और शॉल ओढ़ाकर किया. इस अवसर पर रौशन ने स्कूल के वरिष्ठ बच्चों को अपनी प्रेरणादायक कहानी सुनाई और सफलता का मंत्र साझा किया. प्रिंसिपल के. कुमार ने कहा, रोशन की उपलब्धि हमारे स्कूल और समुदाय के लिए गर्व का विषय है. उनकी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति हर छात्र के लिए प्रेरणा है. स्कूल मैनेजर विकास सिंह ने भी उनके जज्बे की सराहना करते हुए कहा, रौशन ने साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति हो तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती. उनकी कहानी हमारे युवाओं को प्रेरित करेगी. कोडरमा डोमचांच बाजार के निवासी रौशन का जीवन संघर्षों से भरा रहा है. उनके पिता विनोद कुमार चंद्रवंशी, जो एक पारा शिक्षक थे, 2018 में सेवानिवृत्त हुए और उसी दौरान उनकी आंखों की रोशनी भी चली गई. इस कठिन समय में रोशन के बड़े भाई संजीव कुमार ने परिवार की पूरी जिम्मेदारी संभाली.
संजीव ने न केवल होम ट्यूशन देकर रौशन को पढ़ाया, बल्कि अपनी और अपनी छोटी बहन स्नेहा की पढ़ाई का भी ध्यान रखा. उन्होंने घर की सभी जिम्मेदारियां अपने कंधों पर उठा ली. रोशन को पोस्ट ऑफिस की नौकरी मिली, और कम दिखाई देने के कारण संजीव ने गांव-गांव जाकर चिट्ठियां बांटने में उनकी मदद की. उनके मार्गदर्शन में ही रौशन को पहली सरकारी नौकरी मिली.