झारखंड के कई हिस्सों में सोमवार को सूर्य के चारों ओर एक नीला RING देखा गया. ऐसा तब होता है जब सूर्य या चंद्रमा की किरणें बादलों में मौजूद षट्कोणीय बर्फ क्रिस्टलों से अपवर्तित हो जाती हैं. ये कभी-कभी रंगीन या सफेद रिंग से लेकर आर्क्स और आकाश में धब्बे के रूप में होते हैं. इनमें से कई सूर्य या चंद्रमा के पास दिखाई देते हैं, लेकिन कई बार आकाश के विपरीत भाग में भी होते हैं. सबसे प्रसिद्ध प्रभामंडल प्रकारों में वृत्ताकार प्रभामंडल (ठीक से 22 ° प्रभामंडल कहा जाता है).
यह एक सामान्य परिघटना है. सूर्य की रोशनी तेज होने के साथ ही इसका प्रभाव कम होता जाता है. सूर्य की किरणें जितनी कमजोर होती जाती हैं, यह छल्ला उतना ही सतरंगी दिखाई पड़ता है. जैसे-जैसे सूर्य की किरणें तेज होती जाती हैं, वैसे -वैसे छल्ले सफेद या रंगहीन होने लगते हैं.
चंद्रमा के आसपास भी ऐसी स्थिति बनती है, लेकिन उस पर उतना ध्यान नहीं जाता. क्या है कारण सूर्य के आसपास बने ये रिंग या छल्ले बनने के कारण पीछे दिलचस्प कारण होता है. धरती से 20,000 फीट की ऊंचाई पर बहुत ही पतले बादल तैर रहे होते हैं. जिनके भीतर बर्फ के लाखों टुकड़े छिपे होते हैं. इन पतले बर्फीले बादलों को साइसर क्लाउट कहा जाता है. जहा तक इन हेलो के निर्माण के वैज्ञानिक संदर्भ की बात है तो प्रकाश के परावर्तन यानी रिफ्लेक्शन से ही निर्माण होता है.