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रांची/डेस्क: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम सुनते ही कई लोगों के जहन में उनकी सादगी और विनम्रता की छवि उभर आती हैं. इसका एक अद्भुत उदाहरण रीवा के एक शख्स के पास 34 साल से सहेज कर रखा हुआ हैं. यह एक साधारण चश्मा नहीं बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री की एक अमूल्य निशानी है, जिसे उन्होंने एक युवा कांग्रेस कार्यकर्ता को तोहफे में दिया था.
यह बात 8 मई 1991 की है, जब राजीव गांधी लोकसभा चुनाव के सिलसिले में रीवा आए थे. चुनावी सभा के दौरान वे एक खुली जीप में सवार होकर जनता का अभिवादन कर रहे थे. उसी भीड़ में 20 साल के युवा कार्यकर्ता आशीष शर्मा भी मौजूद थे. आशीष ने राजीव गांधी को माला पहनाई और इसी दौरान उनकी नजर राजीव गांधी के विंटेज विदेशी चश्मे पर टिक गई. भीषण गर्मी और तेज धूप में भी राजीव गांधी ने बेहद सहजता से अपनी आंखों से चश्मा उतारा और आशीष को दे दिया, जब उन्होंने निशानी के तौर पर इसे मांगा. कुछ लोगों ने एतराज भी जताया कि चश्मा हटाने से उन्हें परेशानी हो सकती है, लेकिन राजीव गांधी ने इसकी परवाह नहीं की और युवा कार्यकर्ता का दिल रखा.
राजीव गांधी से यह अनमोल उपहार मिलने के बाद आशीष की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वे चश्मा लेकर सीधे अपने घर भागे और तब से लेकर आज तक उन्होंने इसे एक धरोहर की तरह सहेज कर रखा हैं. आशीष शर्मा बताते है कि इस चश्मे पर कई दिग्गज नेताओं की नजर रही है और उन्हें इसे बेचने के लिए करोड़ों रुपए के ऑफर भी दिए गए है लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया. उनके लिए यह सिर्फ एक चश्मा नहीं, बल्कि एक नेता की सादगी और उनके प्रति सम्मान का प्रतीक हैं. कुछ ही दिनों बाद राजीव गांधी का निधन हो गया, जिसने इस धरोहर को और भी खास बना दिया. यह चश्मा आज भी आशीष शर्मा के पास सुरक्षित है, जो राजीव गांधी की यादों को ताजा करता रहता हैं.