न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: एक तरफ भारत और चीन जैसे देश अपनी बढ़ती हुई जनसंख्या से परेशान है. ये दोनों देश लाख कोशिशों के बावजूद अपने यहां बढ़ती हुई आबादी पर नियंत्रण नहीं लगा पा रहे हैं. दुनिया में ऐसे बहुत से देश है, जिन्हें अपने यहां की बढ़ती आबादी सता रही है. लेकिन दुनिया में एक देश ऐसा भी है जहां की जनसंख्या की हालत एक अलग ही कहानी कह रही है. यहां आबादी बढ़ नहीं रही, बल्कि उल्टे घट रही है. इस देश में बच्चे तो पैदा हो रहे हैं, लेकिन एक दूसरा आंकड़ा इसे बेहद डरा रहा है. वह है, मरने वालों की संख्या. इस देश में पैदा हो रहे बच्चों की तुलना में मरने वालों की संख्या ज्यादा है. हालत तो यह हो गयी है यहां युवाओं की भी कमी होने लगी है.
यह देश और कोई और नहीं, बल्कि भारत का अच्छा मित्र जापान है. वैसे तो जीवन प्रत्याशा को लेकर जापान दुनिया में अपना एक स्थान रखता है. यानी यहां के लोग ज्यादा दीर्घायु होते है. इसका असर जापान की सामाजिक अवस्था पर पड़ने लगा है. बेहिसाब हो रही मौतें और जीवन-प्रत्याशा ने मिलकर जापान में युवाओं की संख्या को घटा दिया है और बुजुर्जों की संख्या में काफी इजाफा हो गया है. अपने देश की इस स्थिति से जापानी बेहद भयभीत हो गये हैं. अधिकांश लोगों को तो यह भी कहना है कि अगर यह स्थिति आगे भी जारी रही या इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो जापान के अस्तित्व पर ही संकट के बादल मंडराने लगेंगे.
जनसंख्या को लेकर ताजा आंकड़ा डराने वाला
जापान की जनसंख्या को लेकर तो ताजा आंकड़ा जारी किया गया है, वह बेहद हैरतअंगेज है. 2024 के लिए जारी आंकडे बता रहे हैं कि जापान में लगातार 16वें साल आबादी घटी है. वह भी ऐसी-वैसी नहीं, लाखों में घटी है. 2024 में जनसंख्या 9 लाख 8 हजार से अधिक घटी है. जापान में जनसंख्या को लेकर जो ताजा स्थिति बनी है, उसको एक नाम दिया गया है- ‘साइलेंट इमरजेंसी’. जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने यह नाम दिया है. जापानी प्रधानमंत्री ने देश की जनसंख्या स्थिति पर चिंता जताते हुए परिवार-सहायक (यानी परिवार नियोजन के विपरीत) नीतियों पर ज्यादा ध्यान देने की बात कही है.
जापान की ऐसी स्थिति आखिर क्यों है?
जापान की ताजा स्थिति के लिए जापानियों की जीवन-शैली को जिम्मेवार बताया जा रहा है. दूसरे देशों की तुलना में जापान में काम के घंटों में अंतर है. जापानी काम करने के मामले में दुनिया भर में भले अव्वल माने जाते हैं, लेकिन सुखी जीवन या वैवाहिक जीवन के मामले में पिछड़ जाते हैं. इसके कारण वहां बच्चे पैदा करने के मामले में कई विवाहितों में अरुचि भी देखी जाती है. जापान की सरकार इस बात को अब गहरे से महसूस करने लगी है. इसलिए उसने मुफ्त चाइल्डकेयर और काम के घंटे को लचीला बनाने की ओर ध्यान दे रही है।
जापान में जनसंख्या की ताला स्थिति
2024 के ताजा आंकड़े बताते हैं कि इस साल केवल 6,86,061 बच्चे पैदा हुए, इसकी तुलना में जापान में 16 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. इस अंतर के बाद जापान की कुल आबादी करीब 12 करोड़ है. यह स्थिति तब है जब पिछले 16 सालों से जनसंख्या में निरंतर गिरावट जारी है। सबसे हैरत की बात तो यह है कि 125 सालों में जन्म और मृत्यु में इतना बड़ा अंतर देखा गया है.