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रांची/डेस्क: झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक-2025 के माध्यम से झारखंड के विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों को राज्यपाल के अधिकारों को सीमित कर सरकार के अपने हाथों में लिये जाने के प्रयास पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में घमसान मचा हुआ है. विपक्ष में बैठी भाजपा और आजसू ने जहां इसे संविधान की हत्या बताया है, वहीं सत्ता पक्ष की प्रमुख पार्टी झामुमो ने इसका स्वागत किया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने भाजपा द्वारा लगाये जा रहे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार द्वारा लाया गया नया विधेयक पूरी तरह संवैधानिक है. सरकार इसे शिक्षा व्यवस्था को अधिक जवाबदेह, पारदर्शी और जनोन्मुखी बनाने के उद्देश्य से लायी है. झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा इसका विरोध सिर्फ इसलिए कर रही है क्योंकि वह सत्ता से बाहर है.
विनोद पांडेय ने कहा कि हेमंत सरकार का यह विधेयक झारखंड को उच्च शिक्षा का एक सशक्त केंद्र बनाएगा और युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाएगा. उन्होंने झामुमो की ओर से विधेयक का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार को बधाई दी और विश्वास जताया कि यह विधेयक जल्द ही विधानसभा से पारित होकर लागू होगा.
जबकि दूसरी ओर बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी आजसू ने सरकार द्वारा लाये गये विधेयक पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी ने कहा कि राज्य सरकार संवैधानिक संस्थाओं को बाईपास करने का काम कर रही है, यह अलोकतांत्रिक है. आजसू ने भी सरकार के इस फैसले को अलोकतांत्रिक करार दिया है.