आशिष शास्त्री/न्यूज 11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: सिमडेगा के जैन भवन सभागार में पर्युषण महापर्व का समापन क्षमापना पर्व के रूप में हुआ. यह जैन समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अवसर है, जिसमें आत्मशुद्धि, क्षमा और ज्ञान की ओर प्रेरित किया जाता है.
पर्युषण महापर्व जैन धर्म में आत्म-साधना का सबसे बड़ा त्यौहार है, जो 8 दिनों तक चलता है. इस दौरान सिमडेगा जैन भवन में 12 घंटे का अखंड नवकार मंत्र का पाठ होता है. सिमडेगा के जैन मुनि आचार्य डॉ. पद्मराज स्वामी जी महाराज ने बताया कि यह महापर्व आत्म-साक्षात्कार और आत्म-शुद्धि का अवसर है, जिसमें व्यक्ति अपने आप को पवित्र करता है और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को अपनाता है.क्षमापना पर्व के दौरान जैन मुनि डॉ. पद्मराज स्वामी जी महाराज द्वारा सुन्दरकांड पुस्तक का लोकार्पण और तपस्वियों का सम्मान किया गया. आचार्य डॉ. पद्मराज स्वामी जी महाराज ने कहा कि जीवन में सत्संग ही कल्याण के मार्ग का प्रशस्त करता है. सत्संग की महिमा इसलिए है कि इसके द्वारा ही हमें स्वयं का बोध होता है. उन्होंने ज्ञान और शांति के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि जीवन में सुख के साथ शान्ति भी आवश्यक है.
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