न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: अब समझ आया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प बार-बार चीख-चीख कर यह प्रचार क्यों कर रहे थे कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को उन्होंने बंद करवाया. दरअसल, उनको शांति का नोबेल पुरस्कार चाहिए था. अब तो इस बात का पूरी तरह से खुलासा हो गया. दूसरे देशों ने तो नहीं, पाकिस्तान ने डोनाल्ड ट्रम्प के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग करके यह सिद्ध कर दिया है. पाकिस्तान ने ट्रम्प के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग इसलिए कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे युद्ध को रुकवाने में मध्यस्थ का काम किया था.
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान ने ट्रम्प के लिए शांति पुरस्कार की मांग फील्ड मार्शल असीम मुनीर के अमेरिकी यात्रा के बाद उठायी है. फील्ड मार्शल मुनीर को ट्रम्प ने भोज पर आमंत्रित किया था. इस भोज के दौरान ट्रम्प और मुनीर के बात कई गुप्त बातें भी हुई हैं. सारी बातें पाकिस्तान ने शेयर तो नहीं की हैं, लेकिन लगता है कि ट्रम्प ने मुनीर को यह प्रचारित करने का जिम्मे दे दिया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति के ही प्रयासों से भारत-पाकिस्तान युद्ध बंद हुआ था.
बता दें कि ट्रम्प और मुनीर की मुलाकात से ठीक पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच फोन पर बात भी हुई थी. जिसमें पीएम मोदी ने अमेरिका के द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के अनावश्यक बयानबाजियों पर आपत्ति जतायी थी. तब ट्रम्प को लगा होगा कि मोदी तो सारा खेल बिगाड़ देंगे, इसलिए उन्होंने अपनी मंशा पूरी करने के लिए पाकिस्तान को अपना मोहरा बनाया है. ट्रम्प-मुनीर की मुलाकात के बाद अब पाकिस्तान प्रचार कर रहा है कि अमेरिका की पहल और मध्यस्थता के कारण परमाणु सम्पन्न दो देशों के बीच युद्ध टल सका.
पाकिस्तान के द्वारा जारी आधिकारिक बयान में मध्यस्थता की सराहना करते हुए 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप के नाम की सिफारिश की गयी है. हालांकि ट्रम्प ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट डालकर यह दावा किया है कि उन्हें नोबल पुरस्कार नहीं मिल सकता है. ट्रम्प ने कांगो और रवांडा, भारत-पाकिस्तान, सर्बिया और कोसोवो, मिस्र-इथियोपिया के टकरावों को रुकवाने का हवाला देते हुए कहा कि वह चाहे कुछ भी प्रयास कर लेंगे, लेकिन उन्हें नोबेल का शांति पुरस्कार नहीं मिल सकता, क्योंकि वह लिबरल्स नहीं हैं.