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रांची/डेस्क: हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस साल 16 अगस्त यानी आज को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा. यह भगवान कृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव हैं. इस दिन भक्त उपवास रखते है और रात में भगवान के बाल स्वरूप, लड्डू गोपाल की विशेष पूजा करते हैं. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो कृष्ण की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में हुआ था. यही कारण है कि इस समय बाल गोपाल का जन्म कराकर पंचामृत से स्नान कराया जाता हैं. आइए जानते है जन्माष्टमी की खास रस्में और पूजा विधि के बारे में.
खीरे से करें कान्हा का जन्म
जन्माष्टमी पर खीरे के डंठल को काटना भगवान के जन्म का प्रतीक माना जाता हैं. इसे "नाल छेदन" भी कहते हैं. जिस प्रकार नवजात शिशु के जन्म के समय गर्भनाल काटी जाती है, उसी तरह खीरे के डंठल को काटकर कान्हा के जन्म की रस्म पूरी की जाती हैं. इस रस्म के लिए शुभ मुहूर्त से पहले एक डंठल वाला ताजा खीरा पूजा स्थल पर रखें। शुभ मुहूर्त में एक सिक्के से खीरे के डंठल को काटकर अलग करें और फिर शंख बजाकर भगवान के आगमन की खुशी मनाएं.
कान्हा के जन्म का शुभ मुहूर्त
इस साल जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त की देर रात 12:04 बजे से 12:45 बजे तक रहेगा. इस दौरान कान्हा की पूजा के लिए करीब 43 मिनट का समय मिलेगा. इसी शुभ मुहूर्त में आपको बाल गोपाल का जन्म कराने के बाद उनका पंचामृत से अभिषेक करना होगा.
लड्डू गोपाल के पंचामृत स्नान की विधि
जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराने की एक विशेष विधि है, जिसका पालन करना जरूरी हैं.
मालिश: सबसे पहले बाल गोपाल की प्रतिमा को हल्के हाथों से मालिश करें और फिर साफ पानी से स्नान कराएं.
चंदन लेप: इसके बाद चंदन पाउडर में थोड़ा पानी मिलाकर सुगंधित लेप बनाएं और भगवान के पूरे शरीर पर लगाएं.
स्नान की तैयारी: दो साफ बर्तन लें, एक में बाल गोपाल को रखें और दूसरे में स्नान के लिए जल लें. इस जल में थोड़ा गंगाजल और तुलसी दल मिलाएं. मंत्र जाप के साथ इस पवित्र जल से भगवान को स्नान कराएं.
पंचामृत स्नान: अब क्रम से पंचामृत (दूध, दही, शहद, चीनी) और अंत में गंगाजल से बाल गोपाल का अभिषेक करें.
श्रृंगार और पूजा: स्नान के बाद भगवान को सुंदर और साफ वस्त्र पहनाएं. सिर पर मोरपंख वाली पगड़ी, हाथ में बांसुरी और गले में फूलों की माला पहनाएं. इसके बाद विधि-विधान से पूजा और आरती करें.
झूला झुलाना: श्रृंगार के बाद लड्डू गोपाल को फूलों से सजे झूले में बैठाकर धीरे-धीरे झुलाएं और भजन-कीर्तन करें.