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रांची/डेस्क: जैसे-जैसे पारा चढ़ता जा रहा है, सोशल मीडिया पर एक नया ब्यूटी ट्रेंड आग की तरह फैल रहा है-पीने वाला सनस्क्रीन. जी हां, अब चेहरे पर क्रीम लगाने की बजाय लोग धूप से बचने के लिए ड्रिंक पी रहे हैं. गर्मियों में धूप से बचने के लिए यह नया तरीका लोगों को खूब भा रहा है लेकिन सवाल यह है कि क्या ये ट्रेंड सिर्फ दिखावे के लिए है या वाकई कारगार हैं?
क्या है पीने वाली सनस्क्रीन?
दरअसल, ड्रिंकेबल सनस्क्रीन एक तरह का हर्बल या न्यूट्रिशनल सप्लिमेंट है जो लिक्विड, पाउडर या कैप्सूल फॉर्म में आता हैं. इसमें नेचुरल एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते है, जैसे बेटा कैरोटीन, लाइकोपीन, एस्टैक्सैन्थिन, ग्रीन टी एक्सट्रेक्ट, विटामिन C और E आदि इन तत्वों का काम शरीर की नेचुरल UV डिफेंस सिस्टम को बूस्ट करना है, जिससे आपकी स्किन अंदर से मजबूत होती है और धूप से होने वाली डैमेज से बच सकती हैं.
कैसे करता है काम?
ड्रिंकेबल सनस्क्रीन आपके शरीर के अंदर जाकर फ्री रेडिकल्स से लड़ता है, जो सूर्य की किरणों के कारण स्किन को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके अलावा यह दावा किया जा रहा है कि ये ड्रिंक टैनिंग, झाइयां और स्किन एजिंग जैसे समस्याओं को काम कर सकते हैं. सोचिए एक ठंडी ड्रिंक पिएं और धूप की चिंता छोड़ दें. लेकिन क्या ये वाकई इतना असरदार हैं?
क्या कहते है एक्सपर्ट्स?
डर्मेटोलॉजिस्ट्स मानते है कि यह ड्रिंक सपोर्टिव हो सकती है लेकिन इसे पारंपरिक सनस्क्रीन की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. AIIMS के स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर अग्रवाल कहते है कि ड्रिंकेबल सनस्क्रीन स्किन को अंदर से स्ट्रॉन्ग बनाती है लेकिन यह SPF क्रीम का विकल्प नहीं बन सकती हैं. बाहर जाने से पहले क्रीम या स्प्रे सनस्क्रीन लगाना जरुरी हैं.
लोग क्यों पसंद कर रहे है ट्रेंड?
पसीना आने पर भी नहीं उतरती ये सनस्क्रीन. ये खासतौर पर उन लोगों के लिए जो बार-बार क्रीम लगाना नहीं चाहते हैं. फैशन और हेल्थ का बेस्ट कॉम्बो है ये ट्रेंड. इसे कई यूजर्स ज्यादा कंविनिएंट मानते हैं.