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रांची/डेस्क: BREAKING: नीरज सिंह हत्याकांड में कोर्ट का बड़ा फैसला आ गया है. संजीव सिंह सहित सभी 10 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है. झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह और सिंह मेंशन के समर्थकों में जश्न का माहौल है.
बरी होने के बाद पहली बार समर्थकों के बीच पहुंचे संजीव सिंह, भावुक हुए कार्यकर्ता
धनबाद के बहुचर्चित नीरज सिंह हत्याकांड में बुधवार को अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व विधायक संजीव सिंह समेत सभी दस आरोपियों को बरी कर दिया है. यह फैसला एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दुर्गेशचंद्र अवस्थी ने सुनाया.
पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह और उनके तीन सहयोगियों की हत्या के इस मामले में फैसले की तारीख पहले से तय थी. फैसले के दिन कोर्ट परिसर और आस-पास के इलाकों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही. सिंह मेंशन और रघुकुल से जुड़े समर्थक बड़ी संख्या में कोर्ट पहुंचे. धनबाद के आम नागरिकों में भी इस हाई-प्रोफाइल केस को लेकर खासा उत्साह और जिज्ञासा बनी रही.
मामला क्या था?
यह हत्याकांड 21 मार्च 2017 की शाम करीब 7 बजे सरायढेला स्थित स्टील गेट के पास हुआ था. मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह, उनके पीए अशोक यादव, बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी और ड्राइवर घल्टू महतो की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
इस सनसनीखेज वारदात ने न सिर्फ धनबाद बल्कि पूरे झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी थी. पुलिस ने मामले में तत्कालीन झरिया विधायक और नीरज सिंह के चचेरे भाई संजीव सिंह समेत 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी.
किन-किन लोगों पर चला ट्रायल?
- ट्रायल का सामना कर रहे 10 आरोपियों में संजीव सिंह के अलावा शामिल थे:
- यूपी के शूटर: अमन सिंह (जिसकी 3 दिसंबर 2023 को जेल में हत्या हो गई), कुर्बान अली उर्फ सोनू, चंदन सिंह उर्फ रोहित उर्फ सतीश, और शिबू उर्फ सागर सिंह.
- सहयोगी और साजिशकर्ता: पंकज सिंह (सुल्तानपुर), डबलू मिश्रा (समस्तीपुर), विनोद सिंह (झरिया), रणवीर धनंजय सिंह उर्फ धनजी (सरायढेला), जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू और संजय सिंह (झरिया माडा कॉलोनी).
- मुन्ना बजरंगी का शार्प शूटर धर्मेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू का ट्रायल अलग चल रहा है.
408 सुनवाई तारीखों के बाद आया फैसला
इस केस में कुल 408 तारीखों पर सुनवाई हुई. केस की शुरुआत चार अगस्त 2017 को सेशन कोर्ट में ट्रांसफर के साथ हुई थी. आरोप तय करने में लगभग दो साल लगे और 3 जनवरी 2019 को आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम किया गया.
अभियोजन पक्ष ने 106 तारीखों में 37 गवाहों के बयान और अन्य सबूत पेश किए, जबकि बचाव पक्ष की ओर से 86 सुनवाई में 5 गवाहों की गवाही कराई गई. दोनों पक्षों के बीच 49 तारीखों पर बहस हुई. छह अलग-अलग न्यायालयों में इस केस की सुनवाई चली.
ट्रायल का सामना कर रहे 10 में से सात आरोपी जमानत पर बाहर थे. जबकि तीन - चंदन सिंह, शिबू सिंह और विनोद सिंह - अब भी जेल में थे. विनोद सिंह पर नीरज सिंह की रेकी करने का आरोप था.
फैसले के दिन सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
कोर्ट के फैसले को देखते हुए धनबाद पुलिस अलर्ट रही. न्यायालय परिसर के साथ-साथ सरायढेला और झरिया क्षेत्र में भी अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी.
झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह एम्बुलेंस से धनबाद कोर्ट पहुंचे हैं. कोर्ट परिसर के बाहर संजीव सिंह के समर्थक जुटे हुए हैं. कोर्ट में हत्याकांड के आरोपी मौजूद हैं. कोर्ट परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस निगरानी कर रही है.
धनबाद में धारा 144/163 लागू होने के बाद कोर्ट परिसर से करीब 10 लोगों को जेल भेजा गया है.
धनबाद एसएसपी प्रभात कुमार कोर्ट परिसर पहुंचे और जायजा लिया.
नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह कोर्ट पहुंच गए हैं. वह अधिवक्ताओं से जानकारी ले रहे हैं. वहीं रणधीर वर्मा चौक से धनबाद व्यवहार न्यायालय तक निषेधाज्ञा (BNS की धारा 163) लागू कर दी गई है.
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पूरे कोयलांचल को जिस क्षण का लंबे समय से इंतज़ार था, वो दिन आ गया है. पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड मामले में कुछ ही देर में फैसला आने वाला है. एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दुर्गेशचंद्र अवस्थी इस मामले में अपना फैसला सुनाएंगे. इसको लेकर धनबाद कोर्ट परिसर में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है. पूरे कोर्ट परिसर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है. धनबाद पुलिस हाई अलर्ट पर है. धनबाद SSP प्रभात कुमार खुद सारी व्यवस्था को मॉनिटर कर रहे हैं. वहीं, सिंह मेंशन और रघुकुल के समर्थकों पर पुलिस की कड़ी नजर है. बता दें कि, बहुचर्चित नीरज सिंह हत्याकांड में पूर्व विधायक संजीव सिंह समेत 11 अभियुक्तों पर आरोप है. संजीव सिंह को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है.
साल 2017 में हुई थी हत्या
धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह और उनके तीन सहयोगियों की हत्या साल 2017 में गोली मारकर की गई थी. बताते चले कि नीरज सिंह की हत्या उस समय की गई जब वह अपने घर लौट रहे थे. अपराधियों ने उनके वाहन पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिससे नीरज सिंह के साथ-साथ उनके अंगरक्षकों की भी जान चली गई थी. इसी मामले में अदालत अपना फैसला आठ साल बाद सुनाएगी. इस हत्याकांड ने उस समय धनबाद के साथ-साथ पूरे झारखंड की राजनीतिक स्थिति को हिला कर रख दिया था.