न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: ओबीसी आरक्षण को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार कुछ बड़ा फैसला लेने जा रही है. केन्द्र सरकार का यह फैसला ओबीसी क्रीमीलेयर को लेकर है. सिर्फ आरक्षण ही नहीं, ओबीसी से सम्बंधित देश भर में हो रही कुछ समस्याओं से कैसे निबटा जाये, इस पर भी नया करने जा रही है. बता दें की देश भर में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गयी है, फिर भी राज्य सरकारों पर इनके आरक्षण को लेकर कई शिकायतें आती रहती हैं. राज्य सरकारों पर ओबीसी वर्ग को उनका पूरा हक नहीं दिये जाने की भी शिकायतें मिलती रहती है. केन्द्र सरकार इन सभी समस्याओं को लेकर गंभीर है.
बता दें कि मंडल आयोग की सिफारिश के अनुसार, ओबीसी को शिक्षा के साथ और सरकारी नौकरियों में 27 फीसदी आरक्षण दिया गया है. फिर भी राज्य एक तो इससे कम आरक्षण दे रहे हैं, फिर जरूरतमंदों को ओबीसी सर्टिफिकेट देने में भी दिक्कतें की ढेरों शिकायतें मिल रही हैं.
समतुल्यता के आधार पर ओबीसी के आरक्षण को लेकर ही मोदी सरकार कुछ नया करने जा रही है. वर्तमान में ओबीसी क्रीमीलेयर के लिए आयसीमा सीमा 8 लाख रुपए सालाना की है. लेकिन राज्य सरकारों और संगठनों में ओबीसी क्रीमीलेयर या तो लागू ही नहीं है, या फिर उनका मानदंड अलग-अलग बनाया हुआ है. ऐसे में केंद्र सरकार सभी क्षेत्रों के लिए ओबीसी क्रीमीलेयर में समरूपता बनाना चाह रही है.
केन्द्र की मोदी सरकार जो कुछ नया करने जा रही है, उसका असर उन लोगों पर पड़ेगा जो सरकारी नौकरी में या फिर उपक्रमों में ओबीसी के आरक्षण का लाभ लेकर नौकरी कर रहे हैं. जब ये लोक ओबीसी क्रीमीलेयर के दायरे में आ जायेंगे तब इनके बेटे-बेटी ओबीसी के सामान्य आरक्षण का लाभ नहीं ले पायेंगे.