प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: कटकमसांडी प्रखंड में मनरेगा योजना की स्थिति अत्यंत खराब है. मनरेगा योजना में मजदूरों को सौ दिन का काम उपलब्ध कराने में कटकमसांडी प्रखंड लक्ष्य से काफी पीछे है. मजदूरों को सौ दिन रोजगार उपलब्ध कराने में प्रखंड 0.52 प्रतिशत ही सफलता हासिल की है. यह मनरेगा योजना के लिए काफी चिंतनीय है. मनरेगा योजना एक कानून है, इस कानून के तहत मनरेगा के एक्टिव सभी मजदूरों को सौ दिन काम उपलब्ध कराना पंचायत और प्रखंड कर्मियों का दायित्व है. मजदूर रोजगार के तलाश में दूसरे दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं. कहा जा रहा है की सरकारी आंकड़े के अनुसार कटकमसांडी प्रखंड में मनरेगा योजना मजदूरों को काम मात्र 0.52 प्रतिशत मजदूरों को ही मिल रहा है, जबकि कटकमसांड़ी प्रखंड मनरेगा में एक्टिव मजदूरों की संख्या 2698 है. बताया जा रहा है की मनरेगा योजना में काम के अभाव के कारण मजदूर काम के अभाव में किसी दूसरे राज्य में पलायन कर रहे हैं. 100 दिनों तक रोजगार देने की गारंटी देने देने वाला मनरेगा योजना में अभी तक मात्र 0.52 प्रतिशत ही रोजगार उपलब्ध कर पाया है. जो काफी चिंता का विषय है.
बताया गया है की प्रखंड में 2698 एक्टिव मजदूरों को काम देने का लक्ष्य था लेकिन पूरे प्रखंड में मात्र 14 मजदूरों को ही 100 दिनों तक काम मिल पाया है. अनुसूचित जनजाति के तीन, अनुसूचित जाति के एक और अन्य को 10 मजदूरों को ही इस योजना से इसका लाभ मिला है. जिसे सबसे खराब प्रदर्शन माना जा रहा है. आरोप है की मनरेगा योजना का काम मजदूरों से नहीं कराकर मशीन से कराया जाता है. प्रखंड के आराभुसाई, ढौठवा पंचायत में कुआं का निर्माण मजदूर नहीं बल्कि मशीन से कराया गया है. सूचना है की इसके बाद रोजगार सेवक ने भुगतान पर भी रोक भी लगाया है. मनरेगा योजना की प्रखंड में चिंताजनक स्थिति के संबंध में बीपीओ गोपाल प्रसाद ने कहा कि योजना का चयन किया जा रहा है. हर गांव में योजना संचालित किया जाएगा. योजना में मशीन का उपयोग किया गया होगा तो उसे जांच करते उसका भुगतान पर रोक लगाया जाएगा.