अमित दत्ता/न्यूज़11 भारत
खूंटी/डेस्क: अब तक सिर्फ जापान तक सीमित रहने वाला दुनिया का सबसे महंगा आम 'मियाजाकी' अब झारखंड की धरती पर फलने लगा हैं.खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड अंतर्गत मरचा गांव के किसान रंजीत तोपनो ने इस दुर्लभ और कीमती आम की सफल खेती कर एक नया इतिहास रच दिया हैं. इस आम की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत दो से ढाई लाख रुपये प्रति किलो तक होती हैं. वहीं, एक आम की कीमत 10 हजार रुपये तक पहुंचती हैं. रंजीत तोपनो ने वर्ष 2021 में कोलकाता से मियाजाकी आम का पौधा मंगवाकर अपने बगीचे में लगाया था. कुछ वर्षों की मेहनत के बाद अब उनके बगीचे में इस विदेशी आम के रंग-बिरंगे और बेहद आकर्षक फल लदे हैं. आमतौर पर लाल और बैंगनी रंग के इस आम को ‘एग ऑफ सनशाइन’ भी कहा जाता हैं.
स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर
मियाजाकी आम न सिर्फ अपनी कीमत बल्कि पोषण गुणों के लिए भी जाना जाता हैं. इसमें एंटीऑक्सीडेंट, बीटा कैरोटीन और फाइबर की प्रचुर मात्रा पाई जाती है, जो हृदय रोग, आंखों की रोशनी और पाचन क्रिया के लिए बेहद लाभकारी होता हैं.
क्यों है इतना महंगा?
इस आम की कीमत सिर्फ उसकी दुर्लभता या विदेशी पहचान तक सीमित नहीं हैं. इसकी खेती और देखभाल बेहद जटिल होती हैं. खास तापमान, नमी और धूप की जरूरत होती है, जो जापान के मियाजाकी क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से मिलती हैं. रंजीत तोपनो ने इन्हीं परिस्थितियों को झारखंड में सृजित कर इस खेती को सफल बनाया हैं.
राज्य में बागवानी को नई दिशा
इस कामयाबी के बाद झारखंड में उच्च मूल्य वाले फलों की खेती को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं. रंजीत की पहल से प्रेरित होकर अब अन्य किसान भी इस आम की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. कृषि विशेषज्ञ भी मानते हैं कि मियाजाकी आम झारखंड की पहचान को वैश्विक बाजार में पहुंचाने का सामर्थ्य रखता हैं.
अब झारखंड भी होगा मियाजाकी के लिए मशहूर!
रंजीत तोपनो की यह सफलता सिर्फ एक किसान की उपलब्धि नहीं, बल्कि झारखंड की बागवानी क्षेत्र में संभावनाओं का नया द्वार खोलती हैं. राज्य सरकार अगर इस दिशा में उचित पहल करे, तो आने वाले समय में झारखंड न सिर्फ देश, बल्कि दुनिया भर में मियाजाकी आम के लिए प्रसिद्ध हो सकता हैं.
कृषि वैज्ञानिकों की राय
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि झारखंड के अन्य जिलों में भी मियाजाकी आम की खेती की वैज्ञानिक पद्धति अपनाई जाए, तो यह क्षेत्र किसानों की आय को कई गुना बढ़ा सकता हैं. खासकर खूंटी, गुमला, लोहरदगा जैसे जिलों में इसकी खेती के लिए अनुकूल जलवायु हैं.
विदेशी बाजार में भारी मांग
मियाजाकी आम की सबसे बड़ी खासियत इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी मांग हैं. जापान, दुबई, कुवैत, सिंगापुर और यूरोपीय देशों में इस आम के शौकीन ग्राहकों की लंबी फेहरिस्त हैं. यदि सरकारी और निजी सहयोग मिले, तो झारखंड से सीधे विदेशी बाजारों में इसका निर्यात भी शुरू किया जा सकता हैं.
रंजीत तोपनो बने प्रेरणा स्रोत
रंजीत तोपनो ने यह साबित कर दिया है कि मेहनत, धैर्य और तकनीकी समझ से कोई भी किसान वैश्विक स्तर की खेती कर सकता हैं. वे अब आसपास के किसानों को मियाजाकी आम की तकनीक और देखभाल की जानकारी भी दे रहे हैं. खूंटी का मियाजाकी आम अब सिर्फ फल नहीं, बल्कि झारखंड की नई पहचान बनता जा रहा हैं. यह न सिर्फ कृषि में क्रांति की शुरुआत है, बल्कि यह सपना भी कि राज्य के किसान भी अब वैश्विक मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकते है- एक लाल, कीमती, चमकदार आम के माध्यम से, जिसकी कीमत आज सोने के भाव से होड़ कर रही हैं.