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रांची/डेस्कः- कोलकाता के आरजी कॉलेज में हुई घटना के बाद पूरी देशभर में लोग गुस्से में है. लेकिन इस घटना को लेकर कई तरह के अफवाह भी फैलाई जा रही है. इस बीच सोशल मीडियो में एक खबर बहुत वायरल हो रही है, इस घटना के विरोध में सोनागाछी की महिला दुर्गापूजा के लिए मिट्टी देने से इनकार कर दिया है. इस खबर को लेकर रिपोर्टर ने वहां की महिला से बातचीत की इस पर वहां की महिला ने अपना और भी दर्द सुनाया. रिपोर्टर के सवाल में वहां की महिला ने कहा कि हम एक लंबे समय से अपने हाथों से दुर्गा पूजा के लिए मिट्टी नहीं दे रहे हैं. बात चीत के दौरान वहां की महिला का दर्द भी सामने आया. सेक्स वर्करों ने कहा कि यहां की हर महिला को साल में प्रत्येक दिन अपमान सहन करना पड़ता है हमें मात्र 4 दिन का सम्मान नहीं चाहिए. हमें हर दिन सम्मान की जरुरत है. हमें अपना सम्मान और अधिकार दोनों मिलेगा तो हम खुशी खुशी अपने हाथों से मिट्टी दे सकते हैं. दुर्गा देवी के लिए यहां की मिट्टी की एक अलग अहमियत है लेकिन हमसे अगर बिना पूछे कोई मिट्टी लेकर जाता है तो जाए इसपर हम कुछ नहीं कर सकते हैं. महिलाओं ने कहा कि आजकल तो यहां कि मिट्टी दुकानों में बिकने लगा है मिट्टी यही है या गलत नहीं पता पर बाजारों में बिक रहा है.
हमने भी किया प्रदर्शन
एक और महिला ने वहां का कहा कि आरजी अस्पताल में जो कुछ भी हुआ उसको लेकर प्रदर्शन हमने भी किया. हमें भी इसका बहुत दुख हुआ था 14 अगस्त को हमने भी इस प्रदर्शन में भाग लिया था. हमें इसका बहुत खेद है हम आए दिन रोज बलात्कार व अत्याचार की घटना सुनते हैं. महिला का शोषण हर जगह होने लगा है. दुर्गापूजा के आंगन में वैश्यालयों के आंगन का मिट्टी का प्रयोग एक पौराणिक परंपरा है. पौराणिक कथा के अनुसार एक वैश्या दुर्गा मां की बहुत बड़ी भक्त थी लेकिन वहीं समाज के तिरस्कार से बहुत दुखा था. कहा जाता है कि मां दुर्गा के प्रति सच्ची श्रर्धा को देखते हुए उन्हे ये वरदान मिला कि जब तक उनकी प्रतिमा में वैश्यालय की मिट्टी को शामिल नहीं किया जाएगा तबतक देवी उस मुर्ती में वास नहीं करेगी.
कहा जाता है कि पुरुषों के लोभ व वासना के ही वजह से इसकी शुरुआत की गई थी. कहा जाता है कि वैश्याएं वासना धारम कर खुद को अशुद्ध व समाज को शुद्ध करती है. लेकिन इसके जगह पर यहां की स्त्रियों को समाज बहिष्कृत करता है. यही कारण हे कि दुर्गापूजा जैसे नामी त्योहारों में इनके आंगन की मिट्टी को शामिल कर उन्हे थोड़ा बहुत सम्मान दिया जाता है. पहले मिट्टी लेने के लिए पुरोहित जाया करते थे पर अब कारीगर खुद जाते हैं. वहां की महिला को मना कर देने के बाद उनसे याचना भी करनी पड़ती है.