प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
कोडरमा/डेस्क:- भारतीय रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है. पूर्व मध्य रेल के पंडित दीन दयाल उपाध्याय मंडल (डीडीयू मंडल) ने माल ढुलाई की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाते हुए पूरे भारतीय रेल में पहली बार 4.5 किलोमीटर लंबी मालगाड़ी ‘‘रूद्रास्त्र’’ का सफल संचालन किया है. यह उपलब्धि न केवल डीडीयू मंडल की तकनीकी दक्षता का प्रमाण है, बल्कि रेलवे प्रबंधन और नवाचार का एक अनूठा उदाहरण भी है.
गंजख्वाजा स्टेशन से रवाना हुई इस ऐतिहासिक मालगाड़ी में छह खाली बॉक्सन रेक को आपस में जोड़कर कुल 354 वैगनों को एक साथ शामिल किया गया. इन भारी भरकम डिब्बों को खींचने के लिए कुल 7 शक्तिशाली इंजन लगाए गए. 'रूद्रास्त्र' ने लगभग 200 किलोमीटर की दूरी को औसतन 40 किमी प्रति घंटे की गति से तय किया और इस पूरे सफर को महज 5 घंटे में पूरा किया.
यह मालगाड़ी गंजख्वाजा से सोननगर तक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर तथा आगे गढ़वा रोड स्टेशन तक भारतीय रेल के सामान्य ट्रैक पर चली. इस ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत दोपहर 2:20 बजे गंजख्वाजा स्टेशन से हुई थी.
डीडीयू मंडल, जो कोयला मालवाहन में अहम भूमिका निभाता है, ने यह उपलब्धि अपनी अत्याधुनिक जांच और मरम्मत सुविधाओं, विभागों के बीच बेहतर तालमेल और योजनाबद्ध प्रबंधन से हासिल की है. यहां मालगाड़ी के प्रत्येक डिब्बे की पूर्ण जांच और मरम्मत कर उन्हें एक साथ जोड़कर धनबाद मंडल को भेजा जाता है, जिससे वहाँ आसानी से कोयला और अन्य सामान की लोडिंग की जा सके.
'रूद्रास्त्र' का एक साथ सफल संचालन समय, संसाधन और मानव बल की बचत में एक क्रांतिकारी पहल है. यदि इन्हीं रेकों को अलग-अलग चलाया जाता, तो छह अलग मार्गों, चालक दलों और समय की आवश्यकता होती, जिससे नेटवर्क पर अतिरिक्त दबाव पड़ता. वहीं, इस नवाचार से न केवल माल ढुलाई की रफ्तार बढ़ेगी, बल्कि पटरियों पर अधिक ट्रेनों के संचालन के लिए मार्ग भी उपलब्ध होगा.
‘रूद्रास्त्र’ केवल एक लंबी मालगाड़ी नहीं, बल्कि रेलवे की नई सोच और नवाचार का प्रतीक बन चुकी है.यह जानकारी मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पूर्व मध्य रेलवे सरस्वती चन्द्र ने दी.