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झारखंड के सियासी सफर का चमकता सितारा, CM हेमंत सोरेन का जन्मदिन आज.. जानिए उनकी संघर्ष भरी इस सफर की दास्तां

झारखंड के सियासी सफर का चमकता सितारा, CM हेमंत सोरेन का जन्मदिन आज.. जानिए उनकी संघर्ष भरी इस सफर की दास्तां

न्यूज़11 भारत


रांची/डेस्क: झारखंड की राजनीति में सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाने वाले हेमंत सोरेन का आज 50वां जन्मदिन हैं. 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ के नेमरा गांव में जन्मे हेमंत का बचपन संघर्षों से भरा रहा. उनका सपना इंजीनियर बनने का था, लेकिन किस्मत ने उन्हें राजनीति के मैदान में उतार दिया, जहां उन्होंने सफलता के नए आयाम छुए.

 

इंजीनियर बनना चाहते थे हेमंत सोरेन

इंटरमीडिएट के बाद हेमंत ने रांची के बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा में एडमिशन लिया. लेकिन दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन और मां रूपी सोरेन की चुनावी हार ने उन्हें गहरे सदमे में डाल दिया. पारिवारिक जिम्मेदारियों और राजनीति में आती चुनौतियों के बीच उन्होंने पढ़ाई छोड़कर पूरी तरह से राजनीति में कदम रख दिया.

 

जेएमएम के छात्र संगठन से राजनीति में एंट्री

दुमका में 1998 के लोकसभा चुनाव में शिबू सोरेन को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 1999 के लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी रूपी सोरेन भी भाजपा के बाबूलाल मरांडी से हार गई. संताल परगना में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की कमजोर होती स्थिति को देखते हुए हेमंत सोरेन को छात्र-युवा मोर्चा की जिम्मेदारी सौंपी गई. उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़कर, अपने पिता शिबू सोरेन और बड़े भाई दुर्गा सोरेन के चुनाव की तैयारियों को संभाला.

 

हेमंत सोरेन ने दुमका और संताल परगना में पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत की. उनके प्रयासों का नतीजा यह हुआ कि 2001 के दुमका लोकसभा उपचुनाव में शिबू सोरेन ने एक बड़ी जीत हासिल की. इसके बाद 2004, 2009 और 2014 के चुनावों में भी शिबू सोरेन की जीत में हेमंत सोरेन की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

 

Why the Hemant Soren-ED battle looks increasingly protracted - India Today

 

पहले चुनाव में मिली हार

2005 के दुमका विधानसभा चुनाव में, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने पार्टी के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी की जगह हेमंत सोरेन को टिकट दिया. हालांकि स्टीफन मरांडी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, जिससे हेमंत सोरेन को अपने पहले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.

 

इस हार से हेमंत सोरेन हताश नहीं हुए. उन्होंने लगातार दुमका क्षेत्र में पार्टी संगठन को मजबूत करने और लोगों से संपर्क साधने पर ध्यान केंद्रित किया. इसी बीच 2009 में उनके बड़े भाई दुर्गा सोरेन का निधन हो गया. इसके साथ ही शिबू सोरेन की बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य समस्याओं के कारण वे राजनीति में पहले जितने सक्रिय नहीं रह पाए, जिसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा की पूरी जिम्मेदारी हेमंत सोरेन के कंधों पर आ गई.

 

Hemant Soren declares rebellion against BJP to drive out feudal forces -  The Hindu

 

2009 में झारखंड से राज्यसभा सदस्य के रूप में हुए निर्वाचित

साल 2009 में दुमका विधानसभा सीट से हारने के बाद, हेमंत सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में मिली जीत के साथ ही उन्होंने संसदीय राजनीति में कदम रखा. वे 24 जून, 2009 से 4 जनवरी, 2010 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. इसी दौरान दिसंबर 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने दुमका सीट पर जीत हासिल की. इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे स्टीफन मरांडी तीसरे नंबर पर आ गए थे.

 

Jharkhand Election Results: Hemant Soren, Jharkhand's Youngest Chief  Minister, Ready For Second Stint

 

झारखंड के राजनीतिक सफर में हेमंत सोरेन

वर्ष 2009 में पहली बार विधायक बनने के बाद हेमंत सोरेन ने अपने राजनीतिक करियर में तेज़ी से प्रगति की. सितंबर 2010 में वे झारखंड के उपमुख्यमंत्री बने. उन्होंने अर्जुन मुंडा सरकार में जनवरी 2013 तक इस पद पर कार्य किया, जो उनके राजनीतिक जीवन की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती हैं. इसके बाद, 13 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. यह सरकार झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गठबंधन से बनी थी. यह कार्यकाल 23 दिसंबर 2014 तक चला. इस सरकार का कार्यकाल 23 दिसंबर 2014 तक था.

 

Former Jharkhand CM Hemant Soren sent to 5-day ED custody | Mint

 

2014 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन का प्रदर्शन

2014 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने दो सीटों से चुनाव लड़ा- दुमका और बरहेट. इस चुनाव में उन्हें दुमका सीट पर हार का सामना करना पड़ा, जहां भाजपा की लुईस मरांडी ने उन्हें हराया. हालांकि, बरहेट सीट पर उन्होंने जीत हासिल की, जहां उन्होंने भाजपा के हेमलाल मुर्मू को हराया. 2014 के चुनाव में भाजपा ने रघुवर दास के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाई, जिसके बाद हेमंत सोरेन पांच साल तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे.

 

Hemant Soren: Son-rise: Hemant Soren grows taller as tribal leader,..

 

CM हेमंत सोरेन पुत्र धर्म के साथ निभा रहे राजधर्म

दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक पुत्र के रूप में अपने कर्तव्यों और राज्य के मुखिया के रूप में अपनी जिम्मेदारियों, दोनों का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं. हेमंत सोरेन की राजनीतिक यात्रा इस बात का सबूत है कि कठिन परिस्थितियों में भी अगर संकल्प मजबूत हो तो हर हार को जीत में बदला जा सकता हैं. उनका जन्मदिन झारखंड के लिए सिर्फ एक जश्न नहीं, बल्कि संघर्ष, साहस और नेतृत्व की मिसाल का दिन हैं.

 

कई दिग्गजों ने दी बधाई

 





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