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हजारीबाग में बालू के अवैध उत्खनन से नदियों के अस्तित्व पर गहराने लगा संकट

बड़कागांव प्रखंड क्षेत्र में बालू का अवैध उत्खनन चरम सीमा पर
हजारीबाग में बालू के अवैध उत्खनन से नदियों के अस्तित्व पर गहराने लगा संकट

प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत


हजारीबाग/डेस्क: बड़कागांव प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों बालू का अवैध उत्खनन चरम सीमा पर है. बालू का महत्व सिर्फ निर्माण कार्य तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पारिस्थितकीय दृष्टिकोण से भी इसका काफी महत्व है. पर्यावरण संतुलन के लिए नदियों में भरपूर बालू का होना अनिवार्य है. पानी के बाद बालू ही ऐसी उपयोगी चीज है, जिसका सर्वाधिक और अवैज्ञानिक ढंग से दोहन हो रहा है. यही कारण है कि नदियां वीरान होती जा रही हैं. कई नदियों का अस्तित्व ही संकट में आ गया है. बालू को लघु खनिज के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसके बिना निर्माण कार्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती. नदियों में भरपूर बालू होने से आसपास की वनस्पति और जीवों को पनपने का अवसर मिलता है. इससे जैव विविधता को पोषण मिलता है और पर्यावरण की सुरक्षा होती है.

 

बढ़ते शहरीकरण और सरकारी भवनों, पुल-पुलियों के अलावा अन्य सभी तरह के निर्माण कार्यों में आई तेजी के कारण बालू की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. इसकी पूर्ति के लिए नदियों से अवैध, अनियंत्रित और अवैज्ञानिक तरीके से बालू उत्खनन को बढ़ावा मिल रहा है. बालू के अवैध उत्खनन के कारण न सिर्फ नदियां वीरान हो रही है, बल्कि जल धारण की क्षमता भी प्रभावित हो रही है और नदियों के तट का स्वरूप भी बिगड़ता जा रहा है. नदियों की जल धारण की क्षमता घटने से इसका सीधा असर जलापूर्ति पर पड़ रहा है. जिले का ही उदाहरण लें, जहां गर्मी के दिनों में गभीर जल संकट का सामना आम लोगों को करना पड़ रहा है. बालू के अवैध और अंधाधुंध उत्खनन से जिले की कई छोटी बड़ी नदियां पूरी तरह सूख चुकी हैं. बालू तस्करों ने तो नदियों के अस्तित्व को ही खत्म कर दिया है. यह मात्र एक छोटा सा सूखा नाला बनकर रह गया है. शहरों में रियल स्टेट का व्यवसाय बढ़ने और निर्माण कार्य में आई तेजी के कारण बालू की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. इसके कारण बालू की जमकर तस्करी हो रही है.

 


 

सिर्फ बड़कागांव से ही हर दिन सैकड़ों ट्रैक्टरों से बालू की तस्करी की जाती है. इसके कारण नदियां पूरी तरह सूख चुकी हैं और मानव के साथ ही पशु-पक्षियों को भी बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. नदियों से बालू के अवैध और अवैज्ञानिक तरीके से उत्खनन के दुष्प्रभाव के संबंध में प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि बालू को सिर्फ निर्माण सामग्री के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसका बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग करते हुए आनेवाली पीढ़ियों के लिए हमें नदियों के अस्तित्व को बचाकर रखना जरूरी है. नदियों के अस्तित्व को बचाकर रखने के लिए सबसे पहले हमें बालू का अवैज्ञानिक ढंग से हो रहे उत्खनन पर रोक लगानी होगी, तभी हम नदियों का संरक्षण एवं पर्यावरण को संतुलित रख पाएंगे, अन्यथा आने वाले समय में लोगों को भीषण संकट का सामना करना पड़ सकता है.
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