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रांची/डेस्क: तमिलनाडु में सरकारी और निजी रूप से संचालित स्कूलों के सामने एक नई समस्या सामने आ गई हैं. राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने मीडिया में चल रही खबरों की पुष्टि करते हुए कहा गया है कि इस साल 208 सरकारी स्कूलों और 869 निजी स्कूलों में किसी भी छात्र या छात्रा का नामांकन नहीं हुआ हैं. इसके पीछे स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर या पढाई का स्तर नहीं है बल्कि गिरती जन्म दर और लोगों को दुसरे क्षेत्रों में प्रवास कर जाना प्रमुख कारण हैं. कई सरकारी स्कूलों को बच्चे नहीं होने के कारण बंद कर दिया गया हैं. जबकि विभाग का कहना है कि अगर स्कूलों में अगर बच्चे आते है तो इसे फिर से शुरू किया जाएगा.
कई परिवार अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए निजी स्कूलों को प्राथमिकता देते हैं
मीडिया में चल रही खबरों पर विभाग ने जानकरी देते हुए कहा कि राज्य की गिरती जन्म दर एडमिशन में गिरावट का मुख्य कारण हैं. जनसंख्या आधारित आंकड़ों का हवाला देते हुए विभाग ने जानकारी दी कि तमिलनाडु की कुल प्रजनन दर 2011 से 15 तक 1.68 फीसदी थी, जो कि 2021 से 2025 में घटकर 1.54 लाख बच्चे पैदा हुए थे. अगर 2023 और 2024 की बात करें तो 9.02 और 8.46 लाख बच्चे पैदा हुए हैं.
तमिलनाडु में इस साल 1,204 स्कूलों में एक भी छात्र का नामांकन नहीं हुआ है. राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार, इनमें 208 सरकारी स्कूल शामिल हैं, जो ज्यादातर दूरदराज के इलाकों में स्थित हैं. विभाग ने बताया कि इन क्षेत्रों में या तो स्कूल जाने योग्य बच्चे हैं ही नहीं, या फिर उनके माता-पिता उन्हें लेकर शहर चले गए हैं. इसके अलावा, कई परिवार अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए निजी स्कूलों को प्राथमिकता देते हैं.
राज्य में 37,595 सरकारी स्कूल संचालित हो रहे
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल राज्य में 37,595 सरकारी स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें 42.5 लाख से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. इस साल कक्षा एक में 4,07,379 नए विद्यार्थियों का दाखिला हुआ है. आंकड़ों के अनुसार, सत्र 2024-25 में सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों की तुलना में करीब 1.75 लाख अधिक छात्र हैं. विभाग ने आने वाले वर्षों में सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने की प्रतिबद्धता भी दोहराई है.