प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिले में सड़क किनारे खड़े सैकड़ों सूखे पेड़ कभी भी जानलेवा साबित हो सकते हैं. इन पेड़ को काटने के लिए कोई पहल नहीं की जाती है. यदि किसी ने सूखे पेड़ को खतरा बताते हुए काटने के लिए वन विभाग को पत्र लिखता है तो इसका भी असर विभाग पर नहीं होता है. ऐसा ही एक मामला पीटीसी से एसपी कोठी रोड का है. अटल चौक के पास एक पेड़ दो वर्षों से सूखा हुआ है. इसे काटने के लिए सुनील ठाकुर ने वन विभाग से लेकर मुख्यमंत्री तक को पत्र लिखा. इसके बावजूद आज तक इस पेड़ को काटा नहीं गया है. शहर के विभिन्न इलाके में सड़क किनारे सूखे पेड़ खड़े हैं जो हादसे को आमंत्रित कर रहे हैं. जरा सी हवा चलने पर भी सूखे पेड़ की डाली टूट कर गिर जाती है. इसके शिकार कई लोग होकर घायल हो चुके है.
शहर के सदानंद रोड में एक साथ चार और कुछ दूरी के अंतराल में सात से अधिक सूखे पेड़ हैं. हजारीबाग बगोदर रोड में भी यही स्थिति है. झील रोड में भी पेड़ सूखा हुआ है. अटल चौक से मटवारी रोड में भी सूखा पेड़ है. हजारीबाग में तो सूखे पेड़ की डाली गिरने से बाइक सवार युवक की जान चली गई थी. हादसे के बाद भी संबंधित विभाग सूखा पेड़ क्यों नहीं काट रहा है. यह लोगों के समझ से परे है.
पथ प्रमंडल विभाग के कार्यपालक अभियंता सुभाष प्रसाद से जब सूखे पेड़ से हादसे की आशंका की बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमलोग जल्द ही ऐसे सूखे पेड़ों का सर्वे करवाकर एनओसी के लिए वन विभाग को भेजेंगे. इसके बाद सूखे पेड़ कटवाएंगे. कोशिश रहेगी कि जल्द से जल्द इस दिशा में ध्यान दिया जाए. जल्द ही शहर से लेकर एनएच किनारे खड़े सभी सूखे पेड़ों को हटाने का काम शुरू किया जाएगा.
2 साल बाद भी नहीं काटे जाते हैं सूखे पेड़, हटाने की पहल नहीं, मगर फेंका-फेंकी भरपूर होती है
पेड़ काटने के लिए विभागों के बीच आपसी समन्वय और सहयोग जरूरी है. मगर इन पेड़ों को हटाने की पहल कभी नहीं की जाती है. संबंधित विभागों के बीच समन्वय नहीं रहने का खामियाजा लोग भुगत रहे है. पेड काटने से पूर्व एनओसी लेना जरूरी है. यदि पथ प्रमंडल विभाग को पेड़ काटना है तो वन विभाग से एनओसी लेना होगा. वन विभाग को पेड़ काटना है तो नगर निगम या फिर नगर पर्षद से.
विभाग की लापरवाही से लगातार बढ़ रहे हादसे
विभाग की लापरवाही से जिले में लगातार हादसे बढ़ रहे हैं. हल्की आंधी-पानी में भी खतरा और बढ़ जाता है. कब पेड़ की डाली या पेड़ सड़क पर चलते वाहनों या लोगों पर गिर जाए कहा नहीं जा सकता है. सड़क किनारे सूखे पेड़ काटने को लेकर कोई अभियान नहीं चलाया जाता है. इसे काटने की लेकर जिम्मेदारी भी तय नहीं है. घटना घटने पर संबंधित विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई भी नहीं होती है. लोग भाग्य के भरोसे ऐसे जगहों से गुजरते है. कभी-कभी हादसे का शिकार भी हो जाते है. नगर निगम को भी पेड़ कटवाने के लिए वन विभाग से एनओसी लेना पड़ता है. इस एनओसी के खेल में कब फाइल कहा दब जाएगी और कितने दिन दब कर रह जाएगी यह कहना आसान नहीं है. यदि कोई व्यक्ति जानमाल का खतरा बताते हुए सूखा पेड़ काटने की गुहार लगता है तो उसे महीनों नहीं वर्षो लग जाता है.
एक विभाग दूसरे विभाग को जिम्मेदार बता कर अपना पल्ला झाड़ लेते है. हजारीबाग के नगर आयुक्त शैलेश लाल से जब पूछा गया कि शहर में लगे सूखे पेड़ हटाए नहीं जा रहे हैं. इससे लगातार हादसे की आशंका बनी रहती है.
चतरा में हुई घटना का जिक्र उनसे किया गया तो उन्होंने कहा कि शहर के अंदर सड़क किनारे जो पेड़ सूख गए है. उसकी पहचान कर कटवाने की पहल की जाएगी. नगर निगम की टीम इस तरह के पेड़ों को शीघ्र चयनित करने का काम करेंगी. इसके लिए विभाग की ओर से जल्द ही पहल की जाएगी. सभी सूखी पेड़ जल्द हटाए जाएंगे.