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रांची/डेस्क: आज दीपों का त्योहार दीपावली है. दिवाली यानी दीपावली को रोशनी के त्योहार के रूप में जाना जाता है, जो पूरे भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है. दीपावली कार्तिक महीने में मनाई जाती है और यह त्यौहार आमतौर पर धनतेरस से शुरू होकर पांच दिनों तक चलता है, इसके बाद नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), लक्ष्मी पूजन (बड़ी दिवाली), गोवर्धन पूजा और भाई दूज आते हैं. दिवाली की उत्पत्ति संस्कृत शब्द दीप (दीपक) और वाली (पंक्ति) से हुई है और इसे हर कोने और कोने में मिट्टी के दीये जलाकर मनाया जाता है.
दीपावली का पर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. और सबसे बड़ी खासियत है कि केवल हिंदू ही नहीं, बल्कि अन्य समुदाय के लोग भी दिवाली का त्योहार मनाते हैं. दीपावली का आध्यात्मिक संदेश एक ही है जो 'अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की और अज्ञान पर ज्ञान की जीत' है. हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 12 नवंबर 2023 को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और 13 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी. तो आइए जानते हैं कि दिवाली का त्योहार और जानें लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त..
मां लक्ष्मी की पूजा का महत्व
दिवाली के दिन भगवान गणेश के साथ ही मां लक्ष्मी का भी पूजन किया जाता है. मार्केंडेय पुराण के अनुसार, एक समय धरती पर केवल अंधेरा था और प्रकाश की आवश्यकता थी. उस समय तेज प्रकाश के साथ कमल के फूल पर बैठी हुई मां लक्ष्मी प्रकट हुई. तभी से इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है. कि दिवाली के दिन यदि विधि-विधान के साथ मां लक्ष्मी का पूजन किया जाए तो कभी धन से जुड़ी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता. दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा और करने से जीवन में आ रही नकारात्मकता भी दूर होती है.
जानें, लक्ष्मी पूजा करने का शुभ मुहूर्त
दिवाली के दिन मां लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल में किया जाता है. पंचांग के अनुसार, 12 नवंबर को लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 39 मिनट से शाम 7 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा दूसरा शुभ मुहूर्त 12 नवंबर को रात 11 नवंबर 39 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा.
रोशन का त्योहार है दीपावली
दीपावली उत्सव पांच दिनों तक चलता है, जिसमें आम तौर पर मेले, आतिशबाजी और मिट्टी के दीयों की कतारें शामिल होती हैं. यह त्योहार मोटे तौर पर अंधेरे पर प्रकाश की प्रतीकात्मक जीत का जश्न मनाता है. दीपावली के दिन शहर और ग्रामीण दोनों इलाकों में, मिट्टी से बने छोटे तेल के दीये हिंदू भगवान, भगवान राम की उनके राज्य में वापसी की किंवदंती का जश्न मनाने के लिए पांच दिनों तक घरों, दुकानों और कार्यालयों की दहलीज पर रखे जाते हैं. 14 वर्षों के निर्वासन के बाद, पौराणिक कथाओं के अनुसार, उनकी वापसी का स्वागत करने के लिए उनके लोगों ने दीये जलाये थे. घरों और कार्यालयों के प्रवेश द्वारों पर जमीन पर चमकीले रंग की रंगोली बनाई जाती है. जिसका उद्देश्य मेहमानों का स्वागत करना और अंदर लक्ष्मी को प्रोत्साहित करना है.
नए हिंदू वित्तीय वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है दीपावली
वहीं, दीपावली में नए हिंदू वित्तीय वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है, और कई व्यवसायी, व्यापारी और दुकानदार नई खाता किताबें खोलते है. कुछ राज्यों, विशेषकर गुजरात में व्यवसायी लोग अपने खाता बही की पूजा करते हैं. पांचों दिनों में से प्रत्येक दिन कस्बों और गाँवों में विभिन्न अन्य अनुष्ठान मनाए जाते हैं. वहीं, भारत के कई हिस्सों में दिवाली के आखिरी दिन, एक बहन अपने भाई के लिए खाना बनाती है और वह भाई-बहन के बीच प्यार के जश्न में उसे उपहार देता है.