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दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुद्वारे का अधिकार माना, मस्जिद का दावा अस्वीकार

दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुद्वारे का अधिकार माना, मस्जिद का दावा अस्वीकार

न्यूज़ 11भारत


रांची/डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें शाहदरा इलाके की एक जमीन पर दावा किया गया था. यह जमीन विभाजन के समय से ही एक गुरुद्वारे के रूप में इस्तेमाल हो रही है. कोर्ट ने कहा कि जब इतने वर्षों से वहां एक पूरी तरह से कार्यरत गुरुद्वारा मौजूद है, तो वक्फ बोर्ड को अब अपने दावे से पीछे हट जाना चाहिए.

 

"एक धार्मिक स्थल पहले से मौजूद है, उसे रहने दीजिए" — सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने टिप्पणी की, *"यह कोई अस्थायी ढांचा नहीं है, बल्कि एक अच्छी तरह से संचालित गुरुद्वारा है. जब एक धार्मिक स्थल पहले से सक्रिय है, तो उसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए."* कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से कहा कि उन्हें स्वयं ही अपने दावे को छोड़ देना चाहिए.

 

वक्फ बोर्ड का दावा: पहले मस्जिद थी, नाम था ‘तकिया बाबर शाह’

वक्फ बोर्ड के वकील संजय घोष ने अदालत को बताया कि पहले वहां 'तकिया बाबर शाह' नाम की एक मस्जिद थी, जो वक्फ की जमीन पर बनी थी. उन्होंने तर्क दिया कि निचली अदालतों ने यह स्वीकार किया था कि गुरुद्वारा बनने से पहले वहां मस्जिद थी. इसी आधार पर वक्फ बोर्ड ने जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित करने और उसकी वापसी की मांग की थी.

 

प्रतिवादी पक्ष का दावा: जमीन 1953 में बेच दी गई थी

प्रतिवादी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों में यह दलील दी कि यह जमीन अब वक्फ संपत्ति नहीं रही, क्योंकि इसे मोहम्मद अहसान नामक व्यक्ति ने 1953 में बेच दिया था. हालांकि हाई कोर्ट ने माना था कि बिक्री के दस्तावेज स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन उसने यह भी कहा कि इसका लाभ वक्फ बोर्ड को नहीं मिल सकता. कोर्ट के अनुसार, वक्फ बोर्ड को अपने दावे के समर्थन में ठोस साक्ष्य पेश करने होंगे.

 

वक्फ काननों में बदलाव को लेकर देशभर में विवाद

यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब वक्फ संपत्तियों और उनसे जुड़े कानूनों को लेकर देशभर में बहस चल रही है. केंद्र सरकार ने वक्फ कानूनों में संशोधन किया है, जिसे विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सूत्रों के अनुसार, सरकार एक ऐसे संशोधन की योजना बना रही है जिसमें वक्फ संपत्तियों का अनिवार्य पंजीकरण किया जाएगा. यदि कोई संपत्ति पंजीकृत नहीं है, तो उसे विवादित मानते हुए वक्फ ट्रिब्यूनल में भेजा जा सकता है. पंजीकरण में तकनीकी या कानूनी अड़चनों की स्थिति में 1–2 महीने की अतिरिक्त मोहलत देने का प्रावधान भी प्रस्तावित है.

 
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