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रांची/डेस्क: पलामू के टाइगर रिजर्व से हिरणों के बड़े पैमाने पर शिकार करे और उनके मांस, चमड़ा और सींग की बड़े पैमाने पर तस्करी किये जाने का पर्दाफाश हुआ है. टाइगर रिजर्व में हिरणों के शिकार करने और तस्करी करने के पीछे पूर्व नक्सलियों का हाथ बताया जा रहा है. तस्करी करने वाला यह नेटवर्क हिरणों के शिकार के लिए हथियार और बारूद तक उपलब्ध करा रहा है, ताकि बड़ी मात्रा में तस्करी की जा सके. ये तस्कर हिरणों के अवयवों को कई राज्यों में भेज रहे हैं और उससे मोटी कमाई कर रहे हैं.
हालांकि वन विभाग को इसकी जानकारी है और वह इन तस्करों पर कार्रवाई भी कर रही है, लेकिन हिरणों के मारे जाने की घटनाओं में न तो कमी आ रही है और न ही तस्करी थम रही है. वन विभाग ने एक साल में 20 से अधिक हथियार जब्त किये हैं. यह मात्रा इस बड़ी तस्करी को देखते हुए काफी छोटी लग रही है. इतना ही नहीं, तस्कर बीच-बीच में अपने दुस्साहस का परिचय भी दे रहे हैं. पिछले दिनों एक तस्कर द्वारा फॉरेस्ट गार्ड पर हमला भी किया जा चुका है. हालांकि बाद में कार्रवाई करते हुए चार शिकारियों को गिरफ्तार किया गया. उनके पास से हथियार बरामद भी किये गये. जब गिरफ्तार शिकारियों ने पूछताछ की गयी तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
गिरफ्तार शिकारियों ने जो जानकारी दी है, उसके आधार पर कुछ तथ्य सामने आये हैं. शिकारी हिरणों का मांस 300 रुपये किलो बेचते हैं, इसकी जानकारी तो लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं है कि चमड़े और सींग किस दर से बिकते हैं. उन्होंने इतना बताया कि जब उन्हें ऑर्डर की सप्लाई के लिए हथियार और बारूद मिलते हैं तब वे शिकार कर तस्करों को उपलब्ध करा देते हैं. गिरफ्तार किये गये लोगों ने यह बताया कि इस काम में कुछ पूर्व नक्सली भी शामिल है.
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