न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: साइबर क्राइम डिजिटल फ्रॉड के किस्से अब बॉलीवुड-हॉलीवुड की फिल्मों को भी मात देने लगे हैं. आज यह हालत है कि डिजिटल फ्रॉड में कम पढ़े-लिखे और नासमझ लोग ही नहीं फंस रहे हैं. बुद्धिमान-समझदार वर्ग भी इनके झांसे में आ जा रहा है. यहां तक कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के भी साइबर फ्रॉड की घटनाएं सामने आ चुकी है. जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, साइबर क्राइम नित नये रंग लेता जा रहा है. इसे अपना 'पेशा' बना चुके साइबर अपराधी तकनीकी रूप से एक्सपर्ट और मंझे हुए खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि कम उम्र के किशोर भी इनमें शामिल होने लगे हैं. या यूं करें भारत ही नहीं, वैश्विक स्तर पर किशोर हैकरों की फौज खड़ी कर ली गयी है. जो भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए भी खतरा बन चुके हैं.
हाल ही में उत्तराखंड में एसटीएफ के हत्थे तीन कम उम्र के किशोर लगे थे, इनसे पूछताछ के बाद जो खुलासे हुए वे न सिर्फ चौंकाने वाले, बल्कि भारत के साथ पूरे विश्व को सचेत करने वाले हैं. जिन तीन किशोरों को हिरासत में लिया गया है, उनपर एक स्कूल के डिजिटल प्लेटफॉर्म को हैक करने का आरोप है. सामान्य-सी दिखने वाली यह गिरफ्तारी साइबर अपराध की दुनिया में वैश्विक नेटवर्क तक किशोरों के फैलते जाल की ओर इशारा करती है.
उत्तराखंड से जिन स्कूली छात्रों को गिरफ्तार किया गया है. उन पर आरोप भी काफी संगीन हैं. स्कूल के डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को हैक करना, अभिभावकों और छात्रों से पैसे ऐंठना, फर्जी एप्लिकेशन के जरिये पेमेंट डिटेल्स और लॉगिन क्रेडेंशियल्स चुराने जैसे संगीन अपराध ये किशोर कर चुके हैं.
वैश्विक स्तर पर फैल चुका है किशोरों से साइबर क्राइम करवाने का जाल
उत्तराखंड की घटना एक बानगी है. युवा या कम उम्र के किशोरों के डिजिटल फ्रॉल के जाल में फंसने की INTERPOL की 2024 की रिपोर्ट चौंकाने वाले तथ्य उजागर कर रही है. रिपोर्ट बतायी है कि पिछले तीन साल में साइबर अपराध की दुनिया में 18–25 साल के उम्र के हैकरों की संख्या 40% बढ़ी है. रिपोर्ट सम्भावित नुकसान का भी एक आंकड़ा दिया है. अनुमान है कि 2030 तक दुनिया भर में साइबर क्राइम से वार्षिक नुकसान की सीमा $13 ट्रिलियन तक पहुंच जाएगी और ऐसा किशोर साइबर अपराधियों की बढ़ती संख्या के कारण होगा.