अभिषेक सिन्हा/न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: राजधानी के CO (अंचल अधिकारी) की सुस्ती के कारण ऐसे जमीन दलाल मस्ती में हैं जिनपर सीएम चम्पाई सोरेन ने लगाम लगाने के आदेश दिए हुए हैं. इन CO साहब के एरिया में म्यूटेशन के मामले लगातार लंबित होते जा रहे हैं क्योंकि जमीन दलालों के सांठगांठ और हस्तक्षेप के बाद ही म्यूटेशन संभव हो पाता है. इन जमीन दलालों के अलावा सीओ साहब के कई एजेंट भी होते हैं जो म्यूटेशन के लिए सीधे आवेदक से सम्पर्क करते हैं और चढ़ावा चढ़ाने के बाद ही म्यूटेशन संभव हो पाता है. ऐसे 9 CO को चिन्हीत कर रांची डीसी राहुल सिन्हा ने उन सभी को शोकॉज जारी कर दिया है. उन्हें 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया है कि उसके भीतर जवाब दाखिल कर दें. जमाबंदी में देर करने से जमीन दलालों को फायदा हो रहा क्योंकि दलाल आराम से जमीन पर कब्जा कर रहे और पीड़ित थानों और ब्लॉक का चक्कर लगाते हुए परेशान हैं.
झारखंड राज्य सेवा की गारंटी अधिनियम 2011 का सीओ कर रहे उल्लंघन
डीसी राहुल सिन्हा के द्वारा जारी शोकॉज में स्पष्ट कहा गया है कि जिस तरह से म्यूटेशन और सीमांकन के मामलों को लंबित रखा जा रहा है वह झारखंड राज्य सेवा की गारंटी अधिनियम 2011 का उन्लंघन क्यों नहीं माना जाए साथ ही उसके लिए सीओ पर जुर्माना क्यों नहीं किया जाए. उल्लेखनीय है कि जिन 9 अंचल अधिकारियों को शोकॉज जारी किया गया है उन सभी के क्षेत्र में म्यूटेशन के लंबित मामले करीब 5000 से भी ज्यादा हैं. हर सीओ के इलाके में 600 से ज्यादा म्यूटेशन के मामले लंबित हैं.
अंचल में कुल लंबित मामले
- कांके - 2890
- नामकुम - 2707
- ओरमांझी - 646
- अरगोड़ा - 752
- बड़गांई - 683
- शहर अंचल - 683
- हेहल - 543
- मांडर - 333
- रातू - 1385
कांके और नामकुम की बेशकीमती जमीन
उपर के आंकड़े साफ कर रहे हैं कि सबसे ज्यादा म्यूटेशन के लंबित मामले कांके और नामकुम में लंबित हैं. कांके में जहां 2890 मामले लंबित हैं. वहीं नामकुम में 2707 मामले पेडिंग दिखा रहे हैं. विदित है कि दोनों इलाकों की जमीनें काफी बेशकीमती मानी जाती हैं. साथ ही साथ इन इलाकों में भारी तादाद में जमान दलालों का रसूख काम करता है. कांके सीओ के एक करीबी युवक जो पतरातू और रामगढ़ के बीच के इलाके में रहते हैं, उनको अक्सर कांके सीओ के साथ देखा जा सकता है. साथ ही अंचल कार्यालय में उनकी दखलअंदाजी का अंदाजा की जानकारी के लिए कार्यालय के किसी भी कर्मचारी से उनके बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है. ऐसे लोगों पर लगाम लगाना भी जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी.