न्यूज 11 भारत
रांचीः राजधानी में बिल्डरों की तरफ से धड़ल्ले से भुंईहरी जमीन में अपार्टमेंट बनाये गये हैं. नगर निगम के अफसरों के सहयोग से बिल्डर जमीन के मूल नक्शे में छेड़छाड़ कर, फर्जी दस्तावेज तैयार कर कहीं भी अपार्टमेंट बना रहे हैं. बरियातू क्षेत्र के जोड़ा तालाब के नजदीक ऐसा ही एक मामला सामने आया है. यहां हैदर कंस्ट्रक्शन नामक बिल्डर की तरफ से खाता संख्या 677 के 54 डिसमिल जमीन पर अपार्टमेंट बना दिया गया है. यह आदिवासी भूंईहरी बेयायनी जमीन है. जिस जमीन का नक्शा कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा रांची नगर निगम से नक्शा पारित कराया गया है, उसमें खाता संख्या 677 गायब है. उक्त खाता संख्या के स्थान पर खाता संख्या 687 दर्शाते हुए आदिवासी भुंइहरी जमीन के सबूत को गायब कर दिया गया है. नगर निगम के इंजीनियरों द्वारा कई बार स्थल निरीक्षण के बाद अपार्टमेंट का नक्शा पास किया गया है. न्यूज 11 भारत ने हैदर कंस्ट्रक्शन के दिये गये फोन नंबर 7352447598 पर संपर्क करने की कई बार कोशिश की, पर यह जवाब आया कि यह फोन नंबर अस्तित्व में ही नहीं है. इतना ही नहीं इससे संबंधित ऑनलाइन रिकार्ड भी अब झारभूमि के वेबसाइट पर उपलब्ध ही नहीं हैं.
आदिवासी भुंईहरी जमीन की अबतक जांच नहीं
रांची नगर निगम द्वारा हैदर कंस्ट्रक्शन के अपार्टमेंट का जो नक्शा पास किया गया है, उस नक्शा में खाता संख्या 677 को गायब करते हुए, उसे रास्ता दिखा दिया गया है. खाता नंबर 677 के स्थान पर नक्शे में छेड़छाड़ कर खाता नंबर 687 दिखा दिया गया. जिससे नक्शा पास होने के दौरान आदिवासी भुंइहरी जमीन का मामला ही गायब हो गया. निगम की ओर से पास किये गये नक्शे में प्लाट नंबर 673, 684, सब प्लाट 673 पर मौजा बरियातू, थाना नंबर 193, खाता संख्या 184, प्लाट 677 जमीन का नेचर बकाश्त भुंईहरी पहनाई जमीन है. बुधु मुंडा वल्द जगघु मुंडा, शाकिन चुटिया खेवट और रजिस्टर-2 में दर्ज है.
विधानसभा में विधायक चमरा लिंडा ने उठाया था मामला
यह मामला झारखंड विधानसभा में भी उठ चुका है. विधायक चमरा लिंडा ने भुंईहरी जमीन का मामला उठाया था. उन्होंने जानना चाहा था की डीड संख्या 4572, जो 26 जुलाई 2014, डीड नंबर 5702 दिनांक 15 सितंबर 2014, डीड संख्या 4571 दिनांक 26 जुलाई 2014, डीड संख्या 4108 दिनांक 21 जुलाई 2014 को बकाश्त भुंईहरी पहनाई भूमि के नाम से निबंधित किया गया. आर एस खतियान में यह जमीन भी बकाश्त भुंईहरी पहनाई के नाम से दर्ज है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, तालाब के मेढ़ या तालाब के स्वरूप के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं. लेकिन बरियातू स्थित जोड़ा तालाब के पास सुप्रीम कोर्ट आदेश बेअसर दिख रहा है. तालाब के मेढ़ को काट कर 15 फिट चौड़ी पीसीसी सड़क नगर निगम द्वारा बनाई जा रही है. पूर्व में सड़क निर्माण का विरोध बरियातू मस्जिद कमेटी के पदाधिकारियों ने किया था. जिसके बाद निर्माण कार्य बंद था. मगर पुन: सड़क निर्माण का कार्य शुरू हो गया है. नगर निगम के अफसरों द्वारा उक्त सड़क का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर सिर्फ और सिर्फ बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए किया गयी.
हैदर कंस्ट्रक्शन द्वारा चार ब्लॉक में अपार्टमेंट का निर्माण किया गया. इसके ब्लॉक 2 में अपार्टमेंट का सेट बैक एरिया आदिवासी भुंइहरी जमीन पर ही निकाला गया है. वर्तमान में कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा तीन ब्लॉक ए, बी सी का निर्माण कराया गया.
सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर बेची गयी थी जमीन
दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त ने दिसंबर 2014 को खाता संख्या 677 जमीन की जांच की थी. 23 दिंसंबर 2014 को सौंपी गयी जांच रिपोर्ट (पत्रांक 283) में प्रमंडलीय आयुक्त ने साफ कहा था कि , मौजा बरियातू, थाना संख्या 193 के खेसरा नंबर 677 की 54 डिसमिल जमीन भुंइहरी है. इस पर बुधु मुंडा वल्द जगघु मुंडा चुटिया का कब्जा है. आदिवासी भूमि के हस्तांतरण के पूर्व छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम की धारा 46 एवं 48 के अंतर्गत उपायुक्त से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है. जिला अवर निबंधक रांची द्वारा उपायुक्त के अनुमति के बिना उक्त आदिवासी जमीन का निबंधन किया गया है. जिला अवर निबंधक रांची ने 28 नबंबर 2014 को अपने पत्रांक 1039 में रिपोर्ट दी थी कि जमीन के पावर होल्डर जाहिद इकबाल थे और खरीददार मोहम्मद शहनवाज अंसारी. दोनों ही छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 में उल्लेखित अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के सदस्य नहीं है. इसलिए दस्तावेज में उल्लेखित संपत्ति के हस्तांतरण हेतु सीएनटी एक्ट 1908 की सुसंगत धारा के तहत उपायुक्त की पूर्वानुमति की आवश्यकता प्रथम दृष्टिया प्रतीत नहीं हुई. स्पष्ट रूप से मामले में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 के सुसंगत धाराओं का उल्लंघन कर जमीन की खरीद बिक्री हुई है. आयुक्त ने जिला अवर निबंधक रांची के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई करने की बात कही थी.