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रांची/डेस्कः- तेजी से एडवांस होती जा रही टेक्नोलॉजी के जमाने में छात्रों के लिए सीएस (कंप्यटूर साइंस) का फिल्ड काफी पॉपुलर हो चला है. सीएस यूजी कार्सेज काफी डिमांड में रहते हैं. पर छात्र इस बात पर कंफ्युज रहते हैं कि बीटेक इन कंप्यूटर साइंस और बीएससी इन कंप्यूटर साइंस में से किसे चुना जाए. वैसे दोनों कोर्स में तकनीकी क्षेत्र में अच्छा करियर बनाए जा सकते हैं. पर गहराई, व्यावहारिक अनुभव, कोर्स संरचना और लंबे टाइम के अवसरों के मामले में दोनों में काफी अंतर है. सीएस में बीटेक एक इंजिनीयरिंग की डिग्री है, इसे एक मजबूत टेक्निकल एप्लीकेशन बेस्ड स्कील को विकसित करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें आमतौर पर प्रोग्रामिंग, सॉफ़्टवेयर इंजीनियरिंग, सिस्टम डिज़ाइन, ऑपरेटिंग सिस्टम, डेटाबेस मैनेजमेंट और कंप्यूटर नेटवर्क पर जोर दिया जाता है. यह सिलेबस आमतौर पर अधिक प्रैक्टिकल व प्रोजेक्ट आधारित होता है.
वहीं दूसरी ओर बात करें तो सीएस में बीएससी एक साईंस की डिग्री, कंप्यूटिंग के थ्योरिटकल फाउंडेशंस पर अधिक केंद्रित है.
इस कोर्स में डेटा स्ट्रक्चर, डिस्क्रीट मैथमेटिक्स, एल्गोरिदम, लॉजिक और प्रोग्रामिंग जैसे विषय शामिल हैं. वहीं कुछ बीएससी के कोर्स में एप्लीकेशन डेवलपमेंट भी शामिल होते हैं.
कोर्स की समय-सीमा
बीटेक चार साल का होता है वहीं बीएससी इन सीएस की डिग्री 3 साल की होती है. बीटेक में कोर्स के जरुरत के रुप में कैपस्टोन प्रोजेक्ट, लैब वर्क, और इंटर्नशिप शामिल होती है. वहीं बीएससी की बात करें तो इसमें मैथ्स, स्टैट्स व कोगनिटिव साइंस से जुड़े विषय को जानने समझने का मौका मिलता है.
कौन बेहतर
अगर आप सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, प्रोडेक्ट डेवलपमेंट, सिस्टम आर्किटेक्चर में करियर बनाना चाहते हैं तो आपको सीएस से बीटेक करना चाहिए. ग्रेजुएशन के तुरंत बाद इससे आपको जॉब मिल सकता है. वहीं अगर आप कोर साइंस कंप्यूटिंग, एल्गोरिदम व थ्योरी में दिलचस्पी रखते हैं तो बीएससी सीएस कर सकते हैं. रिसर्च, डेटा साइंस व एकेडमिया की राह भी बीएससी सीएस से ही निकलता है.