न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: भाई दूज का पर्व इस बार 3 नवंबर यानि आज मनाया जाएगा, जो कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर आता हैं. भाई दूज का दिन भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक हैं. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक करती है और उनकी लंबी उम्र तथा सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है और इसे दिवाली के दो दिन बाद मनाने की परंपरा हैं. इस दिन भाई अपनी बहनों के घर भोजन के लिए जाते है और उन्हें उपहार भेंट करते हैं.
शुभ मुहूर्त
भाई दूज का शुभ मुहूर्त आज दोपहर 1:10 बजे से लेकर 3:22 बजे तक हैं. यह समय लगभग 2 घंटे 12 मिनट का रहेगा, जिसमें भाई को तिलक करना विशेष लाभकारी माना गया हैं. इस समय के दौरान तिलक करना शुभफलदायक माना जाता है जबकि राहुकाल में तिलक करने से बचना चाहिए.
पूजा सामग्री
भाई दूज की पूजा के लिए बहन को अपनी थाली में निम्नलिखित सामग्री अवश्य रखनी चाहिए:
- सिंदूर
- फूल और फूलों की माला
- चावल के दाने
- सुपारी
- पान के पत्ते
- चांदी का सिक्का
- नारियल
- मिठाई
- कलावा (रक्षा सूत्र)
- दूब घास
- केला
इन सभी चीजों के साथ पूजा करने पर शुभ फल की प्राप्ति होती हैं.
बहन देती है भाई को श्राप
इस परंपरा के पीछे भी एक प्राचीन कहानी हैं. कहा जाता है कि राजा पृथु के बेटे की शादी थी. जहां उसने अपनी विवाहिता पुत्री को भी बुलाया था. दोनों भाई-बहन में खूब प्यार और स्नेह था. जब बहन, भाई की शादी में आ रही थी, तब रास्ते में बहन ने एक कुम्हार दंपत्ति की बातें सुन ली. वह यह कह रहे थे कि अब तक राजा की बेटी ने अपने भाई को गाली नहीं दी हैं. देखना वह बारात के दिन ही मर जाएगा. यह सुनने के बाद ही बहन रास्ते भर अपने भाई को कोसते हुए गई.
पूजा विधि
भाई दूज की पूजा विधि में बहनों को स्नान के बाद अपने ईष्ट देवता (भगवान विष्णु या भगवान गणेश) की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद भाई के हाथ में सिंदूर और चावल का लेप लगाएं और उस पर पान के पांच पत्ते, सुपारी और चांदी का सिक्का रखें. फिर भाई के माथे पर तिलक लगाएं और दीर्घायु के लिए मंत्र पढ़ें. इसके बाद भाई को मिठाई खिलाएं और उनकी आरती उतारें.
भाई दूज के दिन भाईयों को बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व हैं. इसके साथ ही भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनका आभार प्रकट करते हैं. इस प्रकार भाई दूज का यह पवित्र पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाता हैं.