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एतिहासिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, साहित्यिक, आर्थिक औऱ शैक्षणिक जैसे कई क्षेत्रों का संगंम है बनारस. आइए जानते हैं इसके बारे में

एतिहासिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, साहित्यिक, आर्थिक औऱ शैक्षणिक जैसे कई क्षेत्रों का संगंम है बनारस. आइए जानते हैं इसके बारे में

न्यूज11 भारत


रांची/डेस्कः- देश के प्राचीनतम शहरों में से एक है बनारस, कोई इसे भोलेनाथ की नगरी कहता है तो कोई मंदिरों का शहर कुछ लोग इसे धार्मिक राजधानी के नाम से भी जानतें हैं. देश के प्रधानमंत्री यहीं से अपना नामांकन करवा रहें हैं. बनारस शहर ही है जहां आपको कोर्ट-पैंट पहने शख्स के गले में गमछा दिखेगा और मुंह में पान, देश औऱ दुनियां के किसी दूसरे हिस्से में ऐसा दृश्य देखने को नहीं मिल सकता है. 

 

सांस्कृतिक राजधानी

दुनियां के प्रचीनतम शहरों की चर्चा हो औऱ बनारस का न हो ऐसा हो ही नहीं सकता है. इसका इतिहास 5 हजार साल से भी पुराना है. काशी भारत ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे प्राचीनतम शहर में से है. जिस तरह दिल्ली प्रशासनिक राजधानी, मुंबई को आर्थिक राजधानी के रुप में जाना जाता है ठीक उसी प्रकार काशी को सांस्कृतिक, अध्यात्मिक, साहित्यिक राजधानी के रुप में जाना जाता है.

 

इतिहास से भी पुराना शहर

जैन व बौद्ध ग्रन्थों में भी काशी का उल्लेख किया गया है. बुद्ध काल में राजगृह, चम्पा, साकेत, कोशाम्बी, श्रीवास्ती जैसे प्रसिद्ध नगर के साथ ही इस शहर का उल्लेख होता है. यह शहर पवित्र सप्तपुरियों में से एक है, रामायण, महाभारत, स्कंद पुराण, ऋगवेद आदि महत्वपूर्ण ग्रन्थ इस शहर को उल्लेखित करता है. अमेरिकी लेखक ने बताया कि बनारस इतिहास से भी पुराना शहर है. परंपराओं से भी पुराना है, मार्क ट्वेन ने तो इसे किवंदतियों से भी पुराना होने की संज्ञा दे दी है.

 

सुबह ए बनारस

उत्तर भारत के दो शहर बनारस और लखनउ में दो मुहाबरे काफी वायरल है, एक सुबह ए बनारस दूसरा शाम ए अवध. सुबह ए बनारस सिर्फ मुहाबरा ही नहीं है, गंगा के किनारे बैठकर सूर्योदय को देखना एक अद्बुत अनुभव है. गंगा स्नान के बाद मंत्रोच्चारण व मंदिरों के तरफ श्रद्धालुओं के जाते देखने का नजारा अद्भुत होता है.सिर्फ काशी में ही ऐसे दृश्य देखने को मिल सकता है.

 

घाटों का शहर

घाटों का शहर के लिए प्रसिद्ध है बनारस, यहां कुल 84 घाट मौजूद है. मणिकर्णिका, अश्वमेध, अस्सीघाट यहां के प्रसिद्ध घाटो में से एक है. मणिकर्णिका घाट अंतिम संस्कार के लिए जाना जाता है, यहां शुरु से ही डोम राजा की चलती आई है. काशी का बाबा विश्व नाथ का मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है, जब से इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है तब से यहां श्रद्धालुओं के आने का रुकार्ड हर रोज टूट रहा है. यहां के प्रमुख मंदिर काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा दाता है.  जब किसी अफसर की तैनाती यहां होती है तो अपनी कुर्सी ग्रहण करने से पहले वे काल भैरव के दर्शन कर लेते हैं. ऐसे तो यहां 20 हजार से भी ज्यादा मंदिर होने के प्रमाण मिलतें हैं इसलिए शायद इसे मंदिरों का शहर कहा जाता है. 

 

शिक्षा का केन्द्र

शिक्षा का केन्द्र भी है बनारस, यहां कुल 4 विश्व विदधालय हैं, सभी संस्थानों में देशी व विदेशी छात्र पढ़तें हैं. पंडित मदनमोहन मालवीय के द्वारा स्थापित बीएचयू अपनी विशिष्ट शिक्षा व्यवस्था के लिए  विश्व प्रसिद्ध है. यहां के लगभग सभी संकाय उच्च कोटि के शोध शिक्षण के लिए जाने जाते हैं. 

 

कढ़ाई वाली साड़ी

बनारस के गलियों में घुमने के दौरान अगर आप कचौड़ी व चाट नहीं खाए तो फिर सबकुछ अधुरा है. यहां का बनारसी पान भी देश के साथ साथ विश्व प्रसिद्ध है. यहां के मिठाई भी बहुत फेमस है. साड़ियों के लिए भी बनारस को केन्द्र माना जाता है. यहां की हाथ की कढ़ाई वाली साड़ियां लाखो में बिकती है. 

 

शास्त्रीय संगीत

शास्त्रीय संगीत का भी इस शहर से गहरा रिश्ता है. आज भी यहां सकंट मोचन मंदिर में आयोजित होने वाली संगीत प्रोग्राम के लिए लोग इंतजार करते हैं. शहनाई के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान इन्ही गलियों में पले बढ़ें हैं. आज भी यहां के गलियों में घुमते हुए कलाकार के रियाज सुनाई देते हैं. 

 

साहित्य और काशी

साहित्य के क्षेत्र में काशी शहर का बहुत बड़ा योगदान है. साहित्यकारों का नाम गिनवाया जाए तो सुबह से शाम हो जाएगी. तुलसीदास से लेकर कबीर, रविदास, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद का नाम प्रमुखता से आता है. नामवर सिंह व काशीनाथ सिंह जैसे एक से एक साहित्य आलोचक इस धरती पर पैदा हुए हैं. यहां की नई पीढ़ी भी साहित्य की यात्रा को आगे बढ़ा रही है.

 


 
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