प्रमोद कुमार/न्यूज़11 भारत
बरवाडीह/डेस्क: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की बरवाडीह शाखा के प्रबंधक प्रवीण किशोर पर ग्राहकों के साथ दुर्व्यवहार और गैर-जिम्मेदाराना रवैये का आरोप लगा है. यह मामला तब सामने आया जब भीम आर्मी के प्रखंड अध्यक्ष सूरज कुमार, जो झारखंड जनरलिज्म एसोसिएशन के सदस्य एवं टीवी 45 के पत्रकार भी हैं, धनबाद निवासी शिवांगी कुमारी के आवेदन की स्थिति जानने बैंक पहुंचे.
बैंक मैनेजर का अभद्र व्यवहार
10 फरवरी 2025 को सुबह 11:30 बजे, सूरज कुमार सह पत्रकार बैंक शाखा पहुंचे. उन्होंने बैंक के सभी नियमों का पालन करते हुए शांतिपूर्वक लाइन में खड़े होकर आवेदन की जानकारी मांगी. शिवांगी कुमारी ने 8 जनवरी 2025 को धनबाद से SBI बरवाडीह शाखा को स्पीड पोस्ट के माध्यम से आवेदन भेजा था, जो 14 जनवरी 2025 को बैंक में प्राप्त हो चुका था. लेकिन जब सूरज कुमार ने इसकी स्थिति पूछी, तो बैंक मैनेजर ने आवेदन मिलने से साफ इनकार कर दिया.
जब डाक विभाग से स्पीड पोस्ट कंसाइनमेंट नंबर के माध्यम से इसकी पुष्टि हुई कि आवेदन बैंक में पहले ही पहुंच चुका है, तब भी बैंक प्रबंधन ने स्पष्ट उत्तर नहीं दिया. जब दोबारा जानकारी मांगी गई, तो बैंक मैनेजर ने अभद्र और कठोर भाषा में जवाब देते हुए उन्हें बैंक से बाहर निकलने का आदेश दे दिया.
ग्राहकों में आक्रोश, बैंकिंग सेवाओं पर सवाल
इस घटना के बाद बैंक उपभोक्ताओं में भारी आक्रोश देखा जा रहा है. सूरज कुमार ने कहा, "अगर बैंक प्रबंधक एक पत्रकार और संगठन के प्रतिनिधि के साथ इस तरह का व्यवहार कर सकते हैं, तो आम ग्राहकों के साथ इनका रवैया कितना अपमानजनक होगा, इसकी कल्पना करना कठिन है."
स्थानीय नागरिकों और ग्राहकों का कहना है कि बैंक कर्मचारियों का गैर-जिम्मेदाराना रवैया, ग्राहकों को बार-बार गुमराह करना और उनके साथ दुर्व्यवहार करना आम हो गया है. कई उपभोक्ताओं ने शिकायत की है कि बैंक में काम समय पर नहीं होते, ग्राहकों को घंटों लाइन में खड़ा रखा जाता है, और संतोषजनक उत्तर नहीं दिया जाता.
न्याय की मांग
सूरज कुमार और अन्य उपभोक्ताओं ने बैंक मैनेजर के व्यवहार की कड़ी निंदा की है और उच्च अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की मांग की है. उनकी मांगें इस प्रकार हैं:
1. मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाए और बैंक मैनेजर प्रवीण किशोर के व्यवहार की समीक्षा की जाए.
2. आवेदन से जुड़ी सच्चाई सार्वजनिक की जाए और स्पष्ट किया जाए कि बैंक में आने के बाद भी इसकी जानकारी क्यों छिपाई गई.
3. बैंक उपभोक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार रोका जाए और बैंक में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित की जाए.
4. दोषी बैंक प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों.
ग्राहकों के अधिकारों की सुरक्षा आवश्यक
यह मामला केवल एक व्यक्ति या आवेदन तक सीमित नहीं है, बल्कि बैंकिंग व्यवस्था की पारदर्शिता और ग्राहकों के प्रति उनकी जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है. यदि बैंक अधिकारी ही ग्राहकों के साथ सही व्यवहार नहीं करेंगे, तो जनता को उनके अधिकार कैसे मिलेंगे?
प्रशासन से उम्मीद की जाती है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी बैंक अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं.