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रांची/डेस्क: भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन भगवान कृष्ण ने अवतार लिया था. इसके छठवे दिन समस्त नंद बाबा के घर पर छठी मनाई थी, उसी वक्त से भगवन की छठी मना रहे हैं. 21 अगस्त को इस बार योग रहेगा, जो बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जब कोई शिशु जन्म लेता है, तो घर में अशुद्धता हो जाती हैं, इस;इए उसे छठी के दिन स्नान कराया जाता है और नए वस्त्र पहनाए जाते हैं. कान्हा की भी छठी इसी को देखते हुए मनाई जाती हैं. कान्हा जी के छठे दिन उन्हें स्नान कराकर उन्हें शुद्ध कराया जाएगा, उन्हें नए कपड़े पहनाए जाएंगे. अलग-अलग रिवाजों के अनुसार कान्हा जी की छठी मनाई जाती हैं. उनको इस दिन कई चीजों का भोग लगाया जाता हैं. इसमें कढ़ी-चावल प्रमुख होता हैं. महिलाएं कान्हा जी की छठी माता को भी भोग लगाती हैं.
कैसे की जाती है पूजा कान्हा की छठी की पूजा
कान्हा की छठी मनाने की हर जगह अलग-अलग हैं, कान्हा जी को कई लोग शिशु की तरह मानकर उनकी घी से मालिश करते हैं. कच्चे दूध से उन्हें स्नान कराया जाता हैं. स्नान के पश्चात उन्हें पीले रंग का वस्त्र पहनाया जाता हैं. मोरपंख, बांसुरी और आभूषण आदि से विशेष श्रृंगार करते हैं. जिसके बाद उन्हें तिलक लगाया जाता है. जिसके बाद अपने लड्डू गोपाल को चंदन, केसर, हल्दी, फल, धूप, दीप, अर्पित किया जाता हैं. शाम के समय काजल पारकर उन्हें काजल लगाते हैं और छठी मैया की पूजा करके उन्हें कढ़ी भात, माखन, मिश्री, पंजीरी आदि का भोग लगाया जाता है. इसके बाद आरती उतारी जाती हैं. फिर उनका नामकरण किया जाता है जिसके बाद महिलाएं सोहर के गीत गाती हैं.