संतोष श्रीवास्तव/न्यूज11 भारत
पलामू/डेस्क: कथा सम्राट प्रेमचंद की 145वीं जयंती के अवसर पर संत मरियम स्कूल द्वारा संचालित 'संस्कारशाला' एवं इप्टा द्वारा संचालित 'सांस्कृतिक पाठशाला' के संयुक्त तत्वावधान में “प्रेमचंद को जानें…!” शीर्षक से एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन स्कूल के छात्रावास परिसर में किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता संत मरियम स्कूल के निदेशक अविनाश देव ने की. मंच पर इप्टा के अध्यक्ष प्रेम भसीन, राष्ट्रीय सचिव शैलेंद्र कुमार, अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव के.डी. सिंह, कांग्रेस शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रांतीय अध्यक्ष श्याम नारायण सिंह, प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव, मिशन समृद्धि की अध्यक्ष शीला श्रीवास्तव एवं आशा शर्मा, इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेश सिंह, शिक्षक गोविंद प्रसाद, फिजियोथैरेपिस्ट कुलदीप राम, तहज़ीब फाउंडेशन के महासचिव अशरफ जमाल अश्क, प्रलेसं के जिला सचिव नुदरत नवाज, कवि-साहित्यकार राकेश पाठक एवं मनोज पाठक, शिक्षक संघ के अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार शर्मा और अच्छे लाल प्रजापति मुख्य रूप से उपस्थित रहे.
कार्यक्रम की शुरुआत प्रेमचंद की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि के साथ हुई. इसके पश्चात अतिथियों को अंगवस्त्र एवं पुष्प भेंट कर सम्मानित किया गया. स्कूल निदेशक अविनाश देव ने स्वागत वक्तव्य में प्रेमचंद के संघर्षशील जीवन और उनके साहित्य की सामाजिक उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचंद की रचनाएं सुंदर, न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज के निर्माण के लिए प्रेरित करती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान पाठ्यक्रमों से प्रेमचंद की रचनाएं हटाई जा रही हैं, जिसे लेकर स्कूल प्रशासन सरकार से आग्रह करेगा कि प्रेमचंद की कहानियों को फिर से पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए.
इप्टा के कलाकारों ने “सोने वाला जाग समय अंगड़ाता है” गीत की प्रस्तुति देकर प्रेमचंद की विचारधारा को जनमानस से जोड़ने का प्रयास किया. स्कूल की छात्रा सृष्टि कुमारी, एंजेल गुप्ता और छात्र रौनक ने प्रेमचंद के जीवन और साहित्य पर अपने विचार व्यक्त किए.
इप्टा के रंगकर्मी प्रेम प्रकाश ने प्रेमचंद की मार्मिक कहानी “वनमानुष की दर्दनाक कहानी” का भावपूर्ण पाठ किया, जिससे उपस्थित श्रोता और छात्र-छात्राएं भाव-विभोर हो उठे.
इप्टा के राष्ट्रीय सचिव शैलेंद्र कुमार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहम्मद रफी की पुण्यतिथि का उल्लेख किया और कहा कि “मन तड़पत हरि दर्शन को आज” जैसे भजन के गीतकार शकील बदायूंनी, संगीतकार नौशाद और गायक मोहम्मद रफी—all मुस्लिम थे, लेकिन यह भजन आज भी मंदिरों में गूंजता है. यही है भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब, जिसे प्रेमचंद ने अपने साहित्य में आत्मसात किया.
श्याम नारायण सिंह ने प्रेमचंद को मानवतावादी दृष्टिकोण वाला लेखक बताते हुए कहा कि उनकी कहानी “पंच परमेश्वर” हर व्यक्ति के जीवन में नैतिक प्रेरणा बन सकती है. अशरफ जमाल अश्क ने कहा कि प्रेमचंद ने साहित्य को लोकजीवन से जोड़कर रचना की नई दिशा दी.
के.डी. सिंह ने “पूस की रात” का उल्लेख करते हुए आज के किसानों की स्थिति को प्रेमचंद की दृष्टि से जोड़ते हुए कहा कि प्रेमचंद आज भी हमें समाज को समझने की दृष्टि प्रदान करते हैं. उन्होंने “ईदगाह” के ज़रिए बुजुर्गों के सम्मान और सेवा की भावना को रेखांकित किया.
शीला श्रीवास्तव ने प्रेमचंद की कहानियों को सत्य बोलने की प्रेरणा देने वाला साहित्य बताया. वहीं, शिक्षक संघ के अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार शर्मा ने प्रेमचंद की विविध रचनाओं का उल्लेख करते हुए उनके साहित्य की वर्तमान समय में उपयोगिता पर चर्चा की.
कार्यक्रम में राकेश पाठक ने प्रेमचंद की कालजयी कृति “गोदान” पर आधारित अपनी स्वरचित महाकाव्यात्मक पुस्तक “गोदान” की प्रति अध्यक्ष अविनाश देव को भेंट की. कार्यक्रम का संचालन रवि शंकर एवं प्रेम प्रकाश ने संयुक्त रूप से किया और धन्यवाद ज्ञापन करते हुए ललन प्रजापति ने प्रेमचंद की कई कहानियों की चर्चा की. साथ ही उन्होंने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य समाज का अगुआ दस्ता है.
कार्यक्रम का समापन इप्टा के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत “कामयाबी गीत” से हुआ, जिसमें अतिथियों और छात्र-छात्राओं ने एक साथ स्वर मिलाकर प्रेमचंद के विचारों को स्वर और भाव में सजीव कर दिया. इस अवसर पर संजीव कुमार ‘संजू’, शशि पांडेय, संजीत दुबे, भोला समेत काफी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.