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रांचीडेस्क: डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का कुछ साल पहले भौकाल था. जलवा भी प्लास्टिक मनी का कुछ ऐसा था कि बटुए के हर खांचे में ये नजर आते थे. मगर जब से UPI मार्केट में आया है तब से क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड को कम भाव मिलने लगा हैं. UPI Autopay के कुछ आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं. अगर आप भारत में रहते है तो हो सकता है कुछ समय बाद आपको बटुआ रखने की जरुरत ही ना पड़े. आधार और पैन कार्ड पहले से ही डिजिटल हो रखे हैं. ऐसे में अब डेबिट और क्रेडिट कार्ड रखने का झंझट भी लगभग खत्म होने वाला हैं.
Auto Pay में भी UPI की सुविधा
आज की तारीख में रोजमर्रा के लेनदेन के लिए UPI से अच्छा कुछ भी नहीं हैं. कहां पहले कार्ड निकालेंगे फिर स्वैप या टच करेंगे. इसके बाद पिन डालना पड़ेगा. लेकिन अब ग्राहक से लेकर दुकानदार तक कार्ड की जगह QR कोड को तरजीह दे रहें हैं. मतलब साफ है कि ये समय UPI का ही हैं. अब सामने बचा था Auto Pay यानी EMI या सब्सक्रिप्शन का भुगतान. उदहारण के लिए बिल या बीमा का भुगतान करना.जिसके लिए डेबिट कार्ड पहली पसंद थी. मगर अब सब कुछ बदल चुका है क्योंकि डेटा के मुताबिक सिर्फ एक साल में UPI से Auto Pay में तीन गुना बढ़ोतरी हुई हैं. National Payment Corporation of India के मुताबिक, जहां जनवरी 2024 में UPI Auto Pay से 58 लाख लेनदेन हो रहे थे तो वहीं जनवरी 2025 आते-आते ये 1 करोड़ 75 लाख हो गए हैं.

बात साफ है ग्राहक UPI को ही अपनी पहली पसंद मान रहें है लेकिन अब सवाल उठ रहा है क्या डेबिट कार्ड और क्रेडिट ने अपना मार्केट खो दिया हैं? क्या आपको पता है इसके पीछे कि सबसे बड़ी वजह यूजर एक्सपीरियंस हैं. कार्ड से लेनदेन करने से आपको सबसे पहले तमाम डिटेल्स भरने पड़ते हैं. वही UPI से सारा काम महज एक OTP से हो जाता हैं. कार्ड के साथ एक दिक्कत और है कि हर बैंक का अलग कार्ड होता है फिर उसका भी ध्यान रखना पड़ता हैं. इसके उलट UPI में सब एक ही जगह मिल जाता हैं. शायद यही सबसे बड़ी वजह है कि आम उपभोक्ता का डेबिट और क्रेडिट कार्ड से मोह भंग हो रहा हैं. हालांकि बड़े बिजनेस और कॉर्पोरेट में अभी भी कार्ड ही पहली पसंद हैं. मगर छोटे ग्राहक अब बिना बटुए के घूमते नजर आ सकते हैं.