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रांची/डेस्क: महाभारत की एक कथा शायद आपको याद होगी. महाभारत का युद्ध जब समाप्त हो गया था तब इस युद्ध के लिए दोषी मानते हुए कौरवों की माता गांधारी ने अपने भाई शकुनि को श्राप दिया था कि तुम्हारे कारण जैसे मेरे राज्य का विनाश हुआ है, उसी प्रकार तुम्हारा भी राज्य कभी आबाद नहीं होगा. तुम्हारा राज्य में हमेशा अशांति रहेगी और वहां दरिद्रता का वास होगा. बता दें कि शकुनि और गांधारी का राज्य गांधार था. गांधार ही आज का अफगानिस्तान है. अब इसे कथा को जिस रूप में स्वीकार करें. अफगानिस्तान कभी भी शांत नहीं रहा है, आज भी अशांत है.
वैसे ही कहा जा रहा है कि ईरान का आज जो विनाश हो रहा है वह एक 16 साल की 'ईरान' की ही बेटी के 'श्राप' के कारण हो रहा है. जिसे न सिर्फ सरेआम 300 कोड़े मारे गये, बल्कि उसके बाद उसे फांसी पर लटका दिया गया था. इस लड़की का नाम है अतेफेह रजाबी. ईरान के कट्टरपंथियों ने इस लड़की के साथ जो किया, उसी का श्राप ईरान को भस्म कर रहा है.
कहानी कुछ इस प्रकार है, ईरान में एक गरीब परिवार में जन्मी अतेफेह राजाबी सहालेह पर ईरान के एक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स अली दराबी की बुरी नजर थी. 51 साल के इस फौजी ने दो सालों तक रजाबी का शारीरिक शोषण भी किया. पुलिस में जब इसकी शिकायत की गयी तब रजाबी को ही गिरफ्तार कर लिया गया. उस पर आरोप लगाया गया कि उसने पराये पुरुष से नाजायज सम्बंध बनाये. इस्लामिक देशों की महिलाओं के साथ अक्सर ऐसा ही होता है. उन्हें ही साबित करना होता है कि उनके साथ क्या गलत हुआ है.
नाजायक सम्बंध के आरोप में रजाबी को जेल की सजा हो गयी. 15 साल रजाबी को न सिर्फ जेल में यातनाएं दी गयीं बल्कि वहां भी उसका शारीरिक शोषण किया गया. रजाबी का गरीब परिवार तब भी अन्याय के खिलाफ संघर्ष करता रहा और मामले को किसी तरह अदालत तक ले गया. लेकिन कट्टरपंथी देश में रजाबी को कहां न्याय मिलता.
इसके बाद वही हुआ,जैसा दूसरे कट्टरपंथी इस्लामिक देशों में होता है. नाजायज संबंधों के झूठे आरोपों रजाबी को 300 कोड़े मारने की सजा सुनायी गयी. जब सुनवाई हो रही थी तब रजाबी ने अपनी सजा के खिलाफ और दराबी पर गुस्सा दिखाते हुए अपना हिजाब हटा दिया था. गुस्से से लाल रजाबी ने जज पर जूता भी फेंका. उसकी इस हरकत पर जज ने उसे फांसी की सजा सुना दी. तीन बार 100 कोड़े मारने के बाद 15 अगस्त, 2004 को रजाबी को फांसी दे दी गयी.
अतेफेह राजाबी सहालेह तो फांसी के फंदे पर झूल गयी. अब जब ईरान और इजराइल में जोरदार संघर्ष चल रहा है. ऐसे में रजाबी की कहानियां सोशल मीडिया पर अलग-अलग रूपों में खूब वायरल हो रही हैं. सोशल मीडिया में यही कहा जा रहा है कि ईरान को रजाबी की आह और श्राप लग गया है जो उसे भस्म कर रहा है.
अभी बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए. 2022 में ईरान में कई महिलाओं ने रजाबी को प्रेरणा मानते हुए हिजाब से आजादी के लिए आन्दोलन किया था. ऐसा प्रदर्शन ईरान में इससे पहले कभी नहीं हुआ था. हालांकि कई महिलाओं को इसके बाद अत्याचार भी किया गया, मगर ईरान में एक नयी हवा जरूर बह गयी. अयातुल्ला खामेनेई के कट्टरपंथ के खिलाफ जो नाम ईरान में उभरा था वह था- मेहसा अमीनी का. ईरान की इस बहादुर लड़की मेहसा अमीनी आज ईरान की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई है. आगे ईरान का क्या होगा यह तो वक्त बतायेगा, लेकिन कहानियां कुछ तो जरूर कहती है.