अन्य सुविधा तो दूर 14 महीने से नहीं मिल रहा मानदेय,राशन पानी सहित कई संकट से जुझ रहे हैं कर्मी
कौशल आनंद, न्यूज11 भारत
रांचीः समाज कल्याण, महिला बाल विकास विभाग झारखंड में अराजक स्थिति बन गयी है. विभाग के दो-रंगी नीति का खमियाजा वहां सैकड़ों कर्मी उठा रहे हैं. विभाग को न तो इन कर्मियों के सुख-दुख से कोई मतलब रहा और न ही उनके भरण-पोषण का. समेकित बाल संरक्षण के कर्मियों को विगत 14 महीनों से मानदेय नहीं मिला है. एक तरफ मानदेय अत्यंत ही कम है. ऊपर से दुर्गापूजा ,दीपावली ,बड़ा दिन, ईद बकरीद, रमजान, होली जैसे महत्वपूर्ण पर्व त्यौहार भी इनके कर्मियों को बिना मानदेय के गुजरना पड़ा. अब पैसे के अभाव में बच्चों का नए सेशन का नामांकन ,स्कूल ड्रेस, किताब और राशन पानी की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो रहा है.
विभाग के दोनों विंग बाल विकास और बाल संरक्षण में हैं भारी विसंगितयां
समाज कल्याण के एक ही विभाग के दो अंगो बाल विकास (icds )और बाल संरक्षण (icps) के समान पद कोटि समान योग्यताओं के कर्मियो के देय मासिक मानदेय में भारी विसंगति हो गया है. आलम यह है कि बाल विकास (icds) के मैट्रिक -इंटर स्तरीय पदों का मानदेय बाल संरक्षण (icps) के स्नातक- स्नातकोत्तर पद कोटि के ज्यादा है. इतना ही नही बाल विकास के कर्मियों को पूर्व में भी 113% महंगाई भत्ता से अच्छादित किया गया तथा वर्तमान में भी सरकार द्वारा घोषित नवीनतम 196% महंगाई भत्ता से icds के कर्मियों को अच्छादित किया गया है ,जबकि बाल संरक्षण के कर्मियों को महंगाई भत्ता से अभी तक वंचित रखा गया है.
नतीजन बाल संरक्षण के कर्मियों को पूर्व की सरकार द्वारा वर्षो पूर्व निर्धारित अल्प मानदेय पर आज भी जीना पड़ रहा है. आज महंगाई बेतहासा बढ़ी मगर मानदेय पुराने दर से निर्धारित है. जिसे संसोधन ,सुधार औए पुर्ननिर्धारण की जरूरत है. बाल संरक्षण से जुड़े कर्मियों के सेवा शर्तों में सुधार ,स्थायीकरण 196% नवीनतम महंगाई भत्ता ,epf भविष्य और सामाजिक सुरक्षा ,10% मानदेय में वार्षिक वृद्धि, सीमित उप समाहर्ता की परीक्षा में बैठने का अवसर, विभागीय बहाली में रिक्त पदों का 50% आरक्षण ,माह के 5 तारीख तक निश्चित रूप से मानदेय राशि का खाते में, मणिपुर सरकार के तर्ज पर ग्रेड पे, वेतनमान स्थायीकरण और सेवा शर्तों में सुधार करने की आवश्यकता है.
सरकार की सभी योजनाओं को धरातल पर उतारने वाले ये कर्मी आज खुद हैं फटेहाल
इस संबंध में झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ द्वारा विभागीय मंत्री को कई बार मिलकर मांग पत्र दिया गया. मगर कोई कारवाई नहीं हुई. संघ के केंद्रीय सचिव सुशील कुमार पांडेय बताया कि समाज कल्याण, बाल संरक्षण, बाल विकास, आंगनबाड़ी सेविका सहायिका सम्प्रेषण गृह ,बाल कल्याण समिति और किशोर न्याय बोर्ड के सहित पूरे विभाग के संविदा सरकार के महत्वाकांक्षी योजनाओं को धरातल पर उतारने लगे हुए हैं. हमने वैश्विक महामारी कोविड-19 के काल में अपनी जान हथेली पर रख कर महिला, बच्चे ,वृद्ध और असहाय ,लाचारों को सहायता दिया और सरकार की लोकप्रियता और साख को जनता में बढाया. मगर दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि सरकार की ओर से हमें उचित सम्मान नहीं मिला. यहां तक कि हमारा मानदेय अभी भी 14 महीनों से बकाया है. दुर्गापूजा, होली, ईद, बकरीद बड़ा दिन जैसे पर्व त्यौहार में हमलोगों को मानदेय नही मिला जिसके कारण हमारे बच्चे मायूस रहे.
विभाग के दो-रंगी नीति के कुछ उदाहरण
-समेकित बाल संरक्षण सेवा के तहत कार्यरत एक ही आवंटन पत्र में सम्प्रेषण गृह के कर्मियों को 113 महंगाई भत्ता के साथ मानदेय मिल रहा है, मगर dcpu के कर्मियो को नहीं.
-एक ही विभाग में ICDS के मैट्रिक स्तरीय आदेशपाल और इंटर स्तरीय लिपिक को DCPU जिला बाल संरक्षण इकाई के स्नातक स्तरीय 4 पदों- सामाजिक कार्यकर्ता ,आंकड़ा विश्लेषक ,लेखा पाल और परामर्शी से ज्यादा मासिक मिल रहा है. इसी तरह विधि -सह -परिवीक्षा अधिकारी और संरक्षण पदधिकाकारी जैसे समानार्थी पदों सांख्यिकी सहायक और महिला पर्यवेक्षक से कम मासिक मिल रहा है.
-विभाग एक, सभी पद अनुबंध पर और मंहगाई भत्ता तो किसी को नहीं, किसी को ज्यादा तो किसी को कम ,आखिर ये कैसा विसंगति है.
- देवघर जिला प्रशासन ने फिर एक आदेश जारी कर समाज कल्याण के एक अंग बाल विकास के कर्मियों को 196% महंगाई भत्ता से अच्छादित कर दिया. जिससे अब ICDS के मैट्रिक स्तरीय आदेश पाल लगभग 20 हजार मानदेय और इंटर स्तरीय पद लगभग 24000/ मानदेय उठाएंगे. परंतु समाज कल्याण के ही अंग बाल संरक्षण( icps)के स्नातक स्तरीय पद मात्र 14000/ रुपये ही प्राप्त करेंगे. मतलब ICDS के आदेशपाल का मासिक मानदेय ICPS के स्नातक स्तरीय पदों से 10,000/हजार ज्यादा होगा.
-समाज कल्याण के दो अंग ICPS (बाल संरक्षण) और ICDS (बाल विकास)
-दोनों अंगो में अनुबंध कर्मी ,दोनों की शैक्षणिक योग्यता और कार्य की प्रकृति समान.
-बाल विकास के मैट्रिक स्तरीय आदेशपाल और इंटर स्तरीय लिपिक क्रमश लगभग 20 हजार और 24 000/ मासिक मिलता है.
-मगर बाल संरक्षण के स्नातक स्तरीय पदों को मात्र 14000 रु मासिक दिया जा रहा है. मतलब एक ही विभाग में दो नीति. देशपाल को ज्यादा और लेखापाल को कम.