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रांची/डेस्क: भारत की आध्यात्मिक धरती पर शिव भक्ति की एक ऐसी अद्भुत लकीर मौजूद है, जिसे 'शिव शक्ति रेखा' कहा जाता हैं. उत्तराखंड के केदारनाथ से लेकर तमिलनाडु के रामेश्वरम तक लगभग 2,382 किलोमीटर की सीधी रेखा पर भगवान शिव के सात प्रमुख मंदिर एक ही देशांतर रेखा यानी 79 डिग्री ईस्ट पर स्थित हैं. यह केवल भौगोलिक संयोग नहीं, बल्कि एक दिव्य रहस्य माना जाता है, जो आज भी वैज्ञानिकों और श्रद्धालुओं के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ हैं.
आश्चर्य की बात यह है कि इन मंदिरों में शिव के पंचतत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के प्रतिनिधि पांच प्रमुख शिव मंदिर भी शामिल हैं. इसके अलावा इस रेखा पर दो ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ और रामेश्वरम भी स्थित है, जो इसे और भी आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं.
आइए जानते हैं इस रहस्यमयी 'शिव शक्ति रेखा' पर स्थित इन सात पवित्र मंदिरों के बारे में:
केदारनाथ मंदिर (उत्तराखंड)
हिमालय की गोद में बसा केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं. यह मंदिर 79.0669 डिग्री लॉन्गिट्यूड पर स्थित है और इसे अर्द्धज्योतिर्लिंग कहा जाता हैं. यह शिव शक्ति रेखा की शुरुआत मानी जाती हैं.
श्रीकालाहस्ती मंदिर (आंध्र प्रदेश)
चित्तूर जिले में स्थित यह मंदिर वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता हैं. यहां के शिवलिंग को 'साक्षात जीवंत' माना जाता है और यह मंदिर तिरुपति से केवल कुछ किलोमीटर की दूरी पर हैं.
एकाम्बेश्वरनाथ मंदिर (कांचीपुरम, तमिलनाडु)
यह मंदिर पृथ्वी तत्व का प्रतीक है और इसे पंचभूत स्थलों में विशेष स्थान प्राप्त हैं. यहां शिवजी की पूजा 'प्रिथ्वी लिंग' के रूप में होती हैं.
अरुणाचलेश्वर मंदिर (तिरुवन्नामलाई, तमिलनाडु)
अरुणाचल पर्वत के तल पर स्थित यह मंदिर अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता हैं. यहां दीपम पर्व विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसमें पूरी पहाड़ी पर दीप जलाए जाते हैं.
थिल्लई नटराज मंदिर (चिदंबरम, तमिलनाडु)
यह मंदिर आकाश तत्व का प्रतीक है, जहां भगवान शिव को नटराज यानी नृत्य के रूप में पूजा जाता हैं. मंदिर की दीवारों पर शिव के 108 नृत्य मुद्राओं को दर्शाया गया हैं.
जम्बुकेश्वर मंदिर (तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु)
जल तत्व को समर्पित यह मंदिर लगभग 1,800 साल पुराना हैं. यहां शिवजी के लिंग को हमेशा जल से घिरा हुआ पाया जाता है, जिसे एक चमत्कार माना जाता हैं.
रामेश्वरम मंदिर (तमिलनाडु)
यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है और यहीं भगवान राम ने शिवलिंग स्थापित कर पूजा की थी. यह शिव शक्ति रेखा की अंतिम कड़ी मानी जाती हैं.