प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: अंगारा सेमल हुआ, वन में खिला पलाश,मन के उपवन में उठी, भीनी मन्द-सुवास, इन दोहों में रंगों से सराबोर फागुन की मस्ती छलकती है. फागुन का मदमस्त महीना सेमल, पलाश और आम्र मंजरियों से झूम रहे हैं. इनके वृक्ष फूलों से लदे हुए हैं और इन पर भंवरे डोल रहे हैं. सेमल, पलाश के फूल पर तो जैसे बहार आई हुई है. इन दिनों पेड़ों ने पत्तियों का परित्याग कर दिया है. सुंदर मनभावन सुर्ख लाल पुष्प के श्रृंगार से पेड़ों की सुंदरता देखते ही बन रही है. हजारीबाग में प्रकृति पर फाग का रंग चढ चुका है. जंगलों में पलाश के फूल अंगारों की भांति दमकते दिखाई दे रहे हैं. घने जंगलों के बीच ठूंठे पेड़ों पर खिले पलाश के फूल दूर से ही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने लगते हैं.
यह बात सच है कि हर मौसम अपनी तरह से धरती पर उतरता है और प्रकृति में अपने ढंग से रंग भरता है. लेकिन, बसंत ऋतु और पलाश के फूल की बात ही कुछ और है. सच कहा जाए तो यही प्रकृति का सर्वोत्तम श्रृंगार है. पलाश के फूल की केवल यही खासियत नहीं है, बल्कि इसमें औषधीय गुणों की भरमार है. इससे सुंदर प्राकृतिक रंग बनाया जाता है. बेशक आज केमिकल युक्त रंगों का प्रचलन बढ़ गया है, लेकिन कुछेक दशक पहले तक पलाश के फूलों से रंग तैयार किए जाते थे और उससे होली खेली जाती थी. हजारीबाग में जेएसएलपीएस की दीदीयां फिर से इससे हर्बल रंग बना रही हैं. इस फूल में चर्म रोग से लेकर आंख की रोशनी को बढ़ाने तक के गुण मौजूद हैं. इधर आम्र की मंजरियां फागुन की शोभा बढ़ा रहे हैं. आम्र मंजरियों की मादक सुगंध से वातावरण सुवासित है. महुआ पेडों में से भी महुआ फल की सौंधी महक गुलजार होने लगे हैं. होली के स्वागत में प्रकृति ने अपनी पूरी तैयारी कर रखी है.