उपेन्द्र सिंह/न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः-राजस्थान जैसलमेर रेगिस्तान सबसे डरावनी जगह की बात की जाए तो कुलधरा गांव का नाम लोगो के जुबान पर सबसे पहले आता है.राजस्थान के जैसलमेर से 14 किमी दूर स्थित विख्यात यह कुलधरा गांव, जो पिछले दो सदी यानि 200 सालों से वीरान पड़ा है, अब इसे भुतहा गांव भी कहते है. कहा जाता है कि इस गांव को 13 वी सदी यानि वर्ष 1300 में पालीवाल ब्राह्मण समुदाय द्वारा अब विलुप्त होगई सरस्वती नदी के तट पर ही बसाया गया था. उस समय यह ग्राम आबाद था और यहां कई परिवार बसते थे आबादी भी कई हजार थी. लेकिन आज वीरान पड़े इस गांव में कोई भी स्थानीय आने से भी डरता है. हालांकि भारतीय और फॉरेनर टुरिस्ट दिन के उजाले जरूर देखने पहुंचा करते है शाम को इस गांव का गेट बंद कर दिया जाता है इस गांव में प्रवेश के लिये टिकट भी लगता है.
पालीवाल ब्राह्मणों ने बसाया था.
रेगिस्तान का रहस्यमय कुलधरा ग्राम को बसाया गया था. इस गांव को पालीवाल ब्राह्मणों ने बसाया था. पालीवाल ब्राह्मण को पाली के रहने वाले थे इस लिये पालीवाल कहे जाते है . 11वीं शताब्दी में ये लोग राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों बसे तत्कालीन कुलधरा गांव काफी सम्पन्न था. और इस गांव की आबादी 5000 से भी अधिक थी. यहां के लोग खेती-बाड़ी करते थे और जीवन चलाते थे. साल 1825 में एक दिन अचानक लोगों ने गांव को खाली कर दिया.
मंत्री सलीम सिंह के आतंक से तंग होकर गांव उजड़ गया:
कहा गया है कि पाली के एक ब्राह्मण काधन ने सबसे पहले इस गॉव वाले स्थान पर अपना पीला सेंड स्टोन से घर बनाया और एक तालाब भी निर्माण किया जिसका नाम उन्होंने उधनसर रखा।
लोकप्रिय कहानी के अनुसार, 1800 के दशक में, यह गांव मंत्री सलीम सिंह के अधीन यह जागीर राज्य हुआ करता था, उसके द्वारा ग्रामीणों लगाए गए कर के कारण गांव के लोग बहुत परेशान थे. अय्याश सलीम सिंह को गांव के मुखिया की बेटी पसंद आ गई और विरोध करने पर उसने गांव वालों को धमकाना और अधिक वसूली करने लगा तब त्रस्त होकर मुखिया
अपने गांव वालों की जान बचाने के साथ-साथ अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए पूरा गांव समेत रातों-रात भाग निकला. ग्रामीण गांव को वीरान छोड़कर चले गए. कहा जाता है कि गांव वालों ने ही जाते समय गांव को श्राप दे दिया कि अब यहां कोई नहीं रह पाएगा.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित ऐतिहासिक स्थल
अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित एक ऐतिहासिक जगह पर्यटन का स्थल बन गया है. कुलधरा क्षेत्र एक विशाल गांव है, इसमे लगभग 85 छोटी बस्तियाँ हैं। गाँवों की सारे घर खंडहर हो चुके हैं. यहां का देवी मंदिर भी खंडहर बन गया है, हालांकि मंदिर के अंदर शिलालेख से पुरातत्वविदों को गांव और इसके प्राचीन निवासियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में मदद प्राप्त हुयी है.
पर्यटकों की दिलचस्पी इस भुतहा गांव में:
जैसलमेर शहर से 20 किमी दुर कुलधरा गाँव में सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक ही इस गांव में घूम सकते हैं. यह स्थान भुतहा माना जाता है, इसलिए स्थानीय आस पास ग्रामीण सूर्यास्त के बाद इसका दरवाज़ा बंद कर देते हैं. अगर आप कार से जा रहे हैं तो कुलधरा गांव का गेट पास शुल्क 10 रुपये प्रति व्यक्ति है और कार समेत अंदर जाते है तो 50 रुपये का टिकट है.