अजय लाल/न्यूज11 भारत
बिहार/डेस्कः घटना बेहद ही छोटी है. इतनी छोटी कि आप चर्चा ना भी करें तो कोई फर्क नहीं पड़ता. अव्वल तो इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन मामला चूंकि लालू परिवार से जुड़ा है लिहाजा हर शख्स की जुबान पर इसकी चर्चा है. इतनी ज्यादा कि तेजस्वी यादव का बिहार के कई जिलों में हो रही दौरा चर्चा में पीछे चला गया. दरअसल, तेजप्रताप यादव सोमवार को अपनी महिला मित्र अनुष्का यादव (चुकिं विवाह की कोई औपचारिक घोषणा नहीं है ) के यहां गये थे. वो डंके की चोट पर यह कहते पाये गये कि प्यार करना कोई गुनाह नहीं है और उन्होंने प्यार किया है. तेजप्रताप के हिस्से की गतिविधियां यहीं खत्म हो गयी. मीडिया से बात की और कहा कि अनुष्का से मिलने से उन्हें दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती. जाहिर तौर पर यह जवाव उन्होंने अपने ही परिवार को दी होगी. अब यहीं से बखेड़ा शुरू हो गया.
सियासी हलकों में चर्चा है कि बिहार चुनाव को लेकर तेजस्वी यादव पार्टी को संवारने में लगे हैं, जबकि तेजप्रताप यादव परिवार को. दोनो अपनी जगह सही हैं. लेकिन मौजूं सवाल यह है कि क्या तेजप्रताप यादव के लिए राजद का दरवाजा हमेशा के लिए बंद हो गया है या फिर दरवाजे की सिटकिनी अभी भी खोल कर रखा गया है. सियासी जानकार इसे टेम्पररी एरेंजमेंट बता रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार अजय रंजन कहते हैं कि खून का रिश्ता छूटता है क्या. आज ना कल लालू प्रसाद तेजप्रताप यादव को जरूर बुलायेंगे. पिता - पुत्र को दुनिया की कोई ताकत अलग नहीं कर सकता. यह दूसरी बात है कि कुछ वक्त के लिए पिता पुत्र में नाराजगी हो गयी है. तो क्या यह मान लिया जाये कि नाराजगी कुछ वक्त के लिए है.
दूसरी तरफ राजद में दबी जुबान से चर्चा हो रही है. राजद को यह मानने में कोई गुरेज नहीं कि तेजप्रताप यादव को यदि बिहार चुनाव से पहले पटरी पर नहीं लाया गया तो वो 30 से चालीस सीटों का नुकसान करने की क्षमता रखते हैं. हालांकि वो ऐसा करेंगे नहीं. इसके पीछे का तर्क यही है कि खुद तेजप्रताप यादव कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि वो अपने भाई के लिए कृष्ण हैं और उनका छोटा भाई तेजस्वी अर्जुन. मतलब यह हुआ कि तेजप्रताप यादव बेशक अभी अपनी मोहब्बत को संवारने में लगे है, लेकिन वक्त पर वो पार्टी को भी संवारेंगे. जानकार बताते हैं कि तेजप्रताप यादव ना पार्टी से बगावत करेंगे और ना ही परिवार से. हालांकि एक सवाल सबको खाये जा रहा है कि क्या राजद टिकट बंटवारे के वक्त तेजप्रताप को भी चुनाव लड़ने को कहेगा या फिर पार्टी किनारा करने की सोचेगा.