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रांची/डेस्क: जब से बिहार में मतदाता सूची का गहन परीक्षण चल रहा है. तब से विपक्ष यह साबित करने पर तुला था कि चुनाव आयोग फर्जीवाड़ा कर रहा है और जान-बूझ कर मतदाताओं को लिस्ट से बाहर करने का षड्यंत्र कर रहा है. बिहार का मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य खत्म भी हो गया, उसका ड्राफ्ट चुनाव आयोग की वेबसाइट पर डाल दिया गया, मतदाताओं और सभी राजनीतिक पार्टियों को कह भी दिया कि इसमें जो भी विसंगति है, उसे ढूंढ कर उससे अवगत करायें ताकि उसमें यथेष्ट सुधार किया जा सके. पर हैरत की बात यह है कि इसके बाद भी विपक्ष इसमें से कोई खामी नहीं निकाल पाया. यानी जो 'भ्रम' फैलाने का प्रयास किया गया विपक्ष उसमें सफल नहीं हो सका. विपक्ष का यह रणनीतिक हथियार फेल हुआ तो क्या हुआ. राजनीतिक हथियार भला उससे कौन छीन सकता है. और वह हथियार है 'हो-हंगामा'. और यह अब भी जारी है. बिहार के विधानसभा में भी हंगामा मचा हुआ है और संसद के मॉनसून सत्र में भी मतदाता सूची के कथित फर्जीवाड़े का शोर मचा हुआ.
संसद के दोनों सदनों में एक बार फिर मतदाता सूची को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व में हंगामा मचा हुआ है. मगर संसद के सत्र में जहां यह शोर बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर मचा हुआ था, अब उसकी दिशा बदल गयी है. यानी जो 'चक्रवात' बिहार में बरसने वाला था, उसकी दिशा कर्नाटक और महाराष्ट्र की ओर हो गयी है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी महाराष्ट्र और कर्नाटक में मतदाता सूचियों में हुई कथित धांधलियों को लेकर मुखर है और वह न सिर्फ चुनाव आयोग बल्कि भाजपा सरकार पर भी लगातार आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर विपक्ष के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं.
राहुल गांधी की क्या है दलील?
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग तीखे हमले कर रहे हैं. राहुल गांधी कह रहे हैं कि चुनाव आयोग हमें इलेक्ट्रॉनिक मतदाता सूची नहीं दे रहा है. अगर वह इलेक्ट्रॉनिक मतदाता सूची दे देता है ति हम यह साबित कर देंगे कि नरेन्द्र मोदी ने वोट चोरी करके सत्ता हासिल की है. उनका कहना है कि चुनाव आयोग अगर इलेक्ट्रॉनिक मतदाता सूची दे देगा तो हम यह काम तेजी से और जल्दी कर पायेंगे और सच बाहर आ सकेगा. बता दें कि कांग्रेस की मांग पर चुनाव आयोग ने करीब 300 किग्रा की मतदाता सूची की हार्ड कॉफी उसे मुहैया करायी है. उनका यह भी कहना है कि एक ही मतदाता बार-बार वोट डाल रहा है. लोकसभा चुनाव में चोरी हुई है. यह कर्नाटक की जनता के खिलाफ गंभीर अपराध है. उनका यह भी आरोप है कि वोटर लिस्ट में 15,000 फर्जी नाम शामिल हैं.
बिहार का मुद्दा क्यों हुआ सूची से बाहर?
जिस समय मॉनसून सत्र की शुरुआत हो रही थी उस समय विपक्ष ने सरकार को घेरने के लिए कई मुद्दे तैयार किये थे. उन तमाम मुद्दों में बिहार में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया भी शामिल थी. सत्र के शुरुआती दिनों में बिहार का यह मुद्दा खूब उछला. चुनाव आयोग पर विपक्ष ने फर्जीवाड़ा करने के अनगिनत आरोप भी लगाये. लेकिन चुनाव आयोग जब मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली है. अब सिर्फ वेरिफिकेशन का काम हो रहा है. अचानक से विपक्ष के हाथ से यह मुद्दा फिसल गया. यही वजह है कि भले ही बिहार विधानसभा में विपक्षी पार्टियां कुछ शोर मचा रही हैं, लेकिन लोकसभा से यह मुद्दा गायब हो गया. तो क्या यह समझा जाये कि विपक्ष को शोर-शराबे के लिए एक मुद्दा चाहिए, इसलिए इसका शोर मचा हुआ है? सबसे बड़ी बात यह कि 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर सुनवाई होने वाली है, कहीं इसको लेकर भी तो यह शोर नहीं मचाया जा रहा है? पिछली बार भी जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई थी तो उसके एक दिन पहले बिहार में न सिर्फ बंद का आयोजन किया था, बल्कि उसमें जमकर हंगामा भी हुआ था.