ऑनलाइन रजिस्टर 2 में दूसरे के नाम से दिखता है खाता नंबर 4 के विभिन्न प्लॉटों की जमीन
न्यूज 11, भारत
रांचीः झारखंड की राजधानी में 22 अंचल कार्यालय हैं. पर नामकुम अंचल का नाम घपला, घोटाला, जमीन की अवैध जमाबंदी करने में सबसे अव्वल है. राजधानी के इसी अंचल में चंदाघांसी मौजा भी है. इसके खेवट तीन के खाता चार की 500 एकड़ जमीन स्वर्गीय अब्दुल जाहिर अली उर्फ मंसूर अली के नाम से खेवट में दर्ज है. इसका लगान रसीद और दाखिल खारिज आज तक नामकुम अंचल की तरफ से नहीं किया गया. खेवट की नकल के अनुसार थाना नंबर 300 के 564.49 एकड़ जमीन 1916 और बाद में 1963 को दिया गया था. अंग्रेज के शासन काल में इन्हें चंदाघांसी मौजा की जमीन का लगान काटने की जिम्मेवारी दी गयी थी.
जिम्मेदार कौन
स्वर्गीय अब्दुल जाहिर अली के परिजनों की ओर से कई बार नामकुम अंचल के अंचल अधिकारी को लगान रसीद काटने के लिए आवेदन दिया गया. पर न तो ऐप्लीकेशन लिया गया और न ही रिकॉर्ड में सुधार करने की कार्रवाई की जा रही है. जाहिर अली के परिजनों के अनुसार बकास्त प्रकृति की जमीन रिविजनल सर्वे में लगान पाने वाले अब्दुल जाहिर अली वगैरह के नाम से है. जमीन पर दखल परिजनों का भी है. इसलिए तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर खाता संख्या 4 का लगान निर्धारण करने और जमाबंदी कायम करने का अनुरोध भी किया गया था. कुल मिला कर अब यह प्रतीत होता है कि कागजों में दिखनेवाले जाहिर अली की 500 एकड़ जमीन आखिर गयी कहां. इसके लिए कौन जिम्मेवार हैं. अंचल कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की यह जवाबदेही होती है कि वे रैयतों, सरकार, जंगल-झाड़ी किस्म, हड़गड़ी, भुंईहरी जमीन के केयर टेकर होते हैं. पर केयरटेकरों की ओर से की जानेवाली गलतियों को कौन देखेगा.
कौन-कौन से प्लॉट हैं खाता चार में
खाता चार के बकास्त मालिक जमीन के प्लाट में प्लाट संख्या 1, 20, 32, 6, 28, 14, 18, 36, 29, 8 3, 10, 69, 145, 154, 156, 191, 192, 208, 2, 47, 68, 75, 75, 84, 140, 143, 180, 184, 200, 204, 260, 246, 226, 242, 243, 246 और अन्य प्लॉट हैं. अब इन पर नागेंद्र नाथ देवघरिया वगैरह, चंदर तेली, हेंदो कुम्हार, बहिरा उरांव, भुखल लोहार, मंगरा तेली, जदुआ अहीर, दीनानाथ महतो, फातू उरांव, दशरथ कुम्हार, जलेसर साहू, अगड़ तेली, अघनु साव, धनेश्वरी देवी, टेने उरांव, सिकंदर साहू, दीनानाथ साहू, रीना देवी, ब्रजलाल महतो, राजू बड़ाईक सिंह, सचिदानंद कुमार, गौरी शंकर राय, चंचल सिंह, अलका पांडेय, ब्रजलाल महतो, कल्पणा कुमारी, अरुण कुमार चौधरी, कल्पना कुमारी और अन्य के नाम से दाखिल खारिज दिखता है.
जमाबंदी में सुधार कैसे हुआ, यह है बड़ा सवाल
नामकुम अंचल से इसमें कैसे जमाबंदी सुधार किया गया. यह अब जांच का विषय है. इस जमीन के दावेदार भी दस्तावेजों के हिसाब से अलग-अलग हो गये हैं. इस जमीन का हिस्सा रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के विस्तारीकरण में भी गया है. पर अलग-अलग दावेदारों खास कर चंदर तेली और अन्य की वजह से जिला भू-अर्जन कार्यालय रांची में मामला पांच साल से अधिक समय से लंबित है. जिला भू अर्जन कार्यालय की तरफ से मामले को लैंड एक्वीजिशन कोर्ट में भेज दिया गया है. अब यह बड़ा सवाल है कि दस्तावेजों और वास्तविक रैयतों के कागजात देखने और अंचल के आनलाइन रिकार्ड देखने से जबरदस्त कंफ्यूजन उत्पन्न होता है.