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श्रावणी मेला: महाकाल भैरव मंदिर के बिना अधूरी मानी जाती है कांवर यात्रा, जानिए क्यों टेकता है हर कांवरिया यहां माथा

श्रावणी मेला: महाकाल भैरव मंदिर के बिना अधूरी मानी जाती है कांवर यात्रा, जानिए क्यों टेकता है हर कांवरिया यहां माथा
न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: श्रावण मास में कांवर यात्रा की महिमा अद्वितीय होती है, और बाबा बैद्यनाथ धाम का महत्व इससे भी कहीं बढ़कर है. हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी कांवर यात्रा पूरी कर बाबा भोलेनाथ पर जल अर्पित करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अधिकतर कांवरिये बाबा मंदिर के गर्भगृह के ठीक बगल में स्थित महाकाल भैरव मंदिर में भी माथा क्यों टेकते हैं?
 
भैरव की कृपा के बिना अधूरी मानी जाती है यात्रा
बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर में दक्षिण दिशा की ओर स्थित महाकाल भैरव मंदिर श्रद्धालुओं की विशेष आस्था का केंद्र है. मान्यता है कि कांवर यात्रा के दौरान महाकाल भैरव अदृश्य रूप में हर भक्त के साथ रहते हैं और उन्हें हर संकट से बचाते हैं. इसलिए जलार्पण के बाद कांवरिये भैरव मंदिर जाकर यात्रा की सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं. 
 
कांवरिये क्यों कहते हैं "भैरो बम"?
महाकाल भैरव का वाहन कुत्ता माना गया है.  यही कारण है कि कांवरिये यात्रा के दौरान यदि रास्ते में कोई कुत्ता दिख जाए तो वे उसे देखकर श्रद्धा भाव से "भैरो बम” कहते हैं. यह परंपरा आस्था और विश्वास से जुड़ी है, जो वर्षों से चली आ रही है. 
 
सभी ज्योतिर्लिंगों में पहले होते हैं भैरव
बाबा मंदिर इस्टेट के पुरोहित श्रीनाथ पंडित बताते हैं कि सभी ज्योतिर्लिंग स्थलों पर सबसे पहले भैरव का स्थान होता है. भगवान भैरव, शिव के रक्षक स्वरूप माने जाते हैं. वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और कठिन यात्रा को सरल बना देते हैं. 
 
आंकड़ों में कांवरियों की भक्ति
गुरुवार को सुबह 4:15 बजे बाबा मंदिर का पट खुलते ही जलार्पण की प्रक्रिया शुरू हुई. श्रद्धालुओं की लंबी कतार बीएड कॉलेज तक पहुंच चुकी थी. दोपहर 3 बजे के बाद से यह कतार जलसार चिल्ड्रेन पार्क तक सिमट गई. 
 
शाम 7 बजे तक कुल 1,35,561 कांवरियों ने बाबा भोलेनाथ पर जल चढ़ाया. 
- मुख्य अरघा से: 98,685 कांवरियों ने जलार्पण किया. 
- बाह्य अरघा से: 31,843 कांवरियों ने पूजा की. 
- शीघ्रदर्शनम कूपन लेकर: 5,033 श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा की. 
 
भक्ति का सागर उमड़ पड़ा देवघर में
श्रावणी मेला इन दिनों अपने चरम पर है. हर ओर "बोल बम" के जयघोष गूंज रहे हैं और भक्तों का जोश देखते ही बनता है. भक्ति, परंपरा और आस्था से सराबोर यह मेला कांवरियों के लिए सिर्फ यात्रा नहीं, बल्कि बाबा भोले की कृपा प्राप्त करने का एक भावपूर्ण माध्यम है. बिना महाकाल भैरव के दर्शन, बाबा धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है.
 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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