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रांची/डेस्क: नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा की अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. आज (21 अक्टूबर) शारदीय नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना होती है. नवदुर्गा का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि हैं. मां त्रि नेत्रधारी हैं. मां के गले में विद्युत की अद्भुत माला है. मां कालरात्रि के हाथ में खड्ग और कांटा है. गधा देवी का वाहन है. मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहते हैं. ये अपने भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं. मां कालरात्रि की उपासना से जीवन के सारे दुख, दर्द-संकट दूर हो सकते हैं.
मां कालरात्रि पूजा मुहूर्त
आपको बता दें कि शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की रात्रि 11 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और 21 अक्टूबर की रात्रि बजकर 53 मिनट तक रहेगी. त्रिपुष्कर योग रात्रि 7 बजकर 54 मिनट से लेकर रात्रि 9 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. मां कालरात्रि की जिस मुहूर्त में उपासना की जा सकती है.
मंत्र
ऊँ कालरात्र्यै नमः , ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे.
मां कालरात्रि की पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि के पास घी का दीपक जलाएं. मां कालरात्रि को लाल फूल अर्पित करें. साथ ही उन्हें गुड़ का भोग लगाएं. मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें या सप्तशती का पाठ करें. फिर जो भोग अपने मां कालरात्रि को लगाया था उसका आधा भाग परिवार में बाटें. बाकी आधा गुड़ ब्राह्मण को दान कर दें.