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रांची/डेस्कः- सुप्रीम कोर्ट ने हजारीबाग जिले में कार्यरत एक महिला जज को ट्रांसफर मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हाईकोर्ट को अपने न्यायिक अधिकारियों को अपने माता-पिता के तरह व्यवहार करना चाहिए.
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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई और विनोद चंदन की पीठ ने एडीजे की याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय से कहा कि एकल अभिभावक महिला न्यायिक अधिकारी को हजारीबाग में ही रहने दें या फिर उनके बेटे को 12वीं परीक्षा को ध्यान में रखकर बोकारो ट्रांसफर कर दें.
चीप जस्टिस बाआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की पीठ अनुसुचित जाति वर्ग से संबंधित एक अतिरिक्त न्यायालय की याचिका पर संज्ञान लेते हुए कहा कि हाई कोर्ट को अपने न्यायिक अधिकारी के समस्याओं के प्रति सजग रहना होगा.
महिला न्यायिक अधिकारी ने 6 माह के बाल देखभाल के अवकाश के अनुरोध को अस्वीकार किए जाने की चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत के लिए रुख किया था. बाद में उसे दुमका ट्रांसफर कर दिया गया था. हाई कोर्ट से अपील की थी कि उनका सेवा हजारीबाग में जारी रहने दिया जाए या फिर रांची या बोकारो ट्रांसफर कर दिया जाए.