न्यूज11भारत
रांची/डेस्कः गोड्डा जिले के ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) की ललमटिया कोयला खदान में एक बड़ी दुर्घटना हो गई थी जिसमें लैंड स्लाइडिंग के दौरान दो हाईवा दुर्घटनाग्रस्त हुई थी. हालांकि इस घटना के बाद उस हाईवा के चालक और सह चालक लापता है और उसका अबतक कोई अता पता नहीं चल सका हैं. कि वे सुरक्षित हैं, जमींदोज हो गए या दुर्घटना के बाद वहां से फरार हो गए है. मगर एक बात पूरी तरह से स्पष्ट है कि यहां उत्खन्न कार्य घोर लापरवाह तरीके से किया जा रहा है. जिस वजह से इस तरह की घटना घटी है. गांव के ग्रामीण हो या मुख्य मार्ग ! उत्खनन के लिए जो पैमाना तय किया गया है वो यहां कहीं भी नहीं दिख रहा है. आउटसोर्सिंग कंपनी प्रबंधक हो या राजमहल महाप्रबंधक सभी सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर यहां उत्खन्न कार्य करती है.
आपको बता दें, वर्ष 2016, दिन गुरुवार जिस दिन शाम के वक्त ललमटिया कोयला खदान में एकाएक बड़ी दुर्घटना हुई थी जिसमें 16 मजदूरों ने अपनी जान गंवाई थी हालांकि इस घटना से करीब दो दर्जन से अधिक मजदूरों की खदान में दबे होने की आशंका भी जताई जा रही थी. साल 2016 का यह हादसा जिले का सबसे भयंकर हादसा था मगर इस तरह पहले हुए घटनाओं से भी शासन प्रशासन ने अभी तक सीख नहीं लिया है.
वहीं, न्यूज 11 भारत के पड़ताल में जो बातें सामने आई है. उससे स्पष्ट है कि आउटसोर्सिंग कंपनी परियोजना विस्तारीकरण एवं कोल उत्खनन के लिए उन तमाम सीमाओं को लांघकर यहां कार्य करने पर आमादा हैं, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से मनाही है. इनके लिए आमलोगों के जान-माल की सुरक्षा कोई मायने नहीं रखती. माइनिंग नियम के हिसाब से अगर हम बात करें तो 10 फीट का डाउन बैंच हर दस फीट के बाद छोड़ा जाना है. लेकिन यहां इन नियमों की धज्जियां उड़ाकर डीप जोन तक उत्खनन किया जाता है. खनन के क्रम में यहां 20 फीट के बाद जल स्रोत उभर कर बाहर निकलने लगते है.
अब तस्वीरों को देखिए और समझिए. माइंस के भीतर पूरे बैंच में जल रिसाव होता है. जो लेंड स्लाइडिंग के लिए पर्याप्त कारण है. अब ऊपरी छोर पर देखिए मुख्य मार्ग है. और नीचे डीप जोन, बैंच की दशा भी देखिए. ऐसे में मुख्य मार्ग माइंस में कब स्लाइड कर जाए. इसका कोई पता नहीं. यहां किस तरह माइनिंग नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है यह कटा हुआ मुख्य मार्ग इस बात का सबूत है.

इस पूरे मामले पर जब हमने बोआरीजोर प्रखंड प्रमुख जसिंता हेंब्रम से बात की तो उन्होंने चौकाने वाली बात बताई. उन्होंने कहा कि यहां हुई लैंड स्लाइडिंग की यह घटना कोई पहली बार नहीं घटी है. इससे पहले भी कई बार यहां कई बड़े-बड़े हादसे घटित हो चुका है मगर जिला प्रशासन कार्रवाई के बजाय मौन साध लेती है और मामला रफा-दफा कर दिया जाता है. ईसीएल मैनेजमेंट सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर काम कर रही है. प्रमुख ने आगे कहा कि ललमटिया बोआरीजोर मुख्य मार्ग टू लेन सड़क था जिसमें बड़ी-बड़ी गाड़ियां चलती थी. पर लैंड स्लाइडिंग के कारण आधी सड़क धंसकर नीचे चली गई. बाकी बची हुई सिंगल लेन सड़क पर लोग और बड़ी-बड़ी गाड़ियां का आगमन हो रहा है. जहां किसी के साथ भी बड़ी दुर्घटना हो सकती हैं. इस पर ईसीएल मैनेजमेंट और जिला प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है.

उन्होंने कहा कि ईसीएल अपने मनमाने तरीके से खदान चला रही है और जमीन अधिग्रहण कर रही है. चाहे यहां कोई घटना-दुर्घटना हो जाए या फिर क्षेत्र के लोग अपना जीवन यापन किस तरीके से करें इससे ईसीएल को कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि यहां कोई भी घटना या दुर्घटना घटती है तो इसका जिम्मेदार केवल ईसीएल मैनेजमेंट ही होगें. हालांकि जिम्मेदारी ईसीएल की ही है जिसे इन्हें देखना चाहिए और ईमानदारी पूर्वक नियमों को निर्वाहन करना चाहिए पर ऐसा नियम कहीं लागू होता नहीं दिख रहा है. खदान में होने वाली हर छोटी-बड़ी घटना हर जगह प्रकाशित होती रही है और सभी को इन घटनाओं की जानकारी मिल जाती है. बावजूद मैनेजमेंट और जिला प्रशासन हमेशा चुप्पी साधी रहती है.