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रांची/डेस्क: रांची में स्मार्ट सिटी परियोजना को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार को नामकुम अंचल कार्यालय में उस वक्त हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला जब कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप ने स्मार्ट सिटी से जुड़े म्यूटेशन आदेश पर नाराजगी जाहिर करते हुए अंचल अधिकारी के सामने विरोध दर्ज कराया. विधायक कच्छप ने म्यूटेशन आदेश की प्रति अंचल अधिकारी आर.के. सिंह के सामने फेंकते हुए कहा, "अगर स्मार्ट सिटी का म्यूटेशन इसी तरह हुआ, तो झारखंड में आदिवासियों और मूलवासियों की कोई जमीन नहीं बचेगी. यह गलत परंपरा शुरू की जा रही है, जिसे हर हाल में रोका जाएगा."
सीओ साहब, अगर आपने म्यूटेशन किया तो आपकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है: राजेश कच्छप
विधायक ने चेतावनी दी कि जब तक विधानसभा की समिति इस मामले की जांच पूरी नहीं करती, तब तक वह किसी भी सूरत में म्यूटेशन नहीं होने देंगे. उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी सीओ या सीआई इस मामले में पड़ेगा, तो वह कार्रवाई की जद में आएगा. "सीओ साहब, अगर आपने म्यूटेशन किया तो आपकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है. जरूरत पड़ी तो मामला हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ले जाऊंगा," उन्होंने कहा.
राजेश कच्छप ने साफ किया कि वह रैयतों और विस्थापितों के हितों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं होने देंगे. उन्होंने एचईसी को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि उसके पास किसी थर्ड पार्टी को जमीन ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं है. "मैं सरकार का हिस्सा हूं, फिर भी यह बात स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि सरकार ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन किया है. कानून से ऊपर कोई नहीं है," विधायक ने कहा.
इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए अंचल अधिकारी आर.के. सिंह ने कहा कि म्यूटेशन की प्रक्रिया झारखंड के मुख्य सचिव के आदेश के तहत की जा रही है और उन्हें स्पष्ट निर्देश मिला है कि म्यूटेशन जल्द से जल्द पूरा किया जाए. स्मार्ट सिटी परियोजना को लेकर चल रहा यह टकराव राज्य की प्रशासनिक प्रक्रिया और आदिवासी हितों के बीच बढ़ते तनाव को उजागर करता है. अब देखना होगा कि इस विवाद का समाधान राजनीतिक संवाद से होता है या कानूनी जंग की ओर बढ़ता है.