न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: यमन की जेल में बंद केरल की नर्स निमिषा प्रिया को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई हैं. उन्हें दी गई मौत की सजा को अब पूरी तरह से रद्द कर दिया गया हैं. यह जानकारी भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय द्वारा जारी किए गए एक बयान में दी गई हैं. हालांकि अभी यमन सरकार से इस संबंध में कोई आधिकारिक लिखित पुष्टि नहीं आई हैं.
बयान में बताया गया कि यह निर्णय यमन की राजधानी सना में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान लिया गया. यह फैसला भारत के लिए न सिर्फ एक कूटनीतिक सफलता है बल्कि उन तमाम मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जीत भी है, जिन्होनें सालों तक निमिषा के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी.
क्या है निमिषा की कहानी?
निमिषा प्रिया का मामला 2018 से अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रहा हैं. मूल रूप से केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली 34 वर्षीय नर्स निमिषा 2008 में नौकरी की तलाश में यमन गई थी. वहां उसने एक यमनी नागरिक तालाल अब्दो महदी के साथ मिलकर क्लिनिक शुरू की. लेकिन साझेदारी के कुछ समय बाद दोनों के बीच मतभेद गहराने लगे.
जानकारी के मुताबिक, महदी ने न सिर्फ निमिषा का उत्पीड़न करना शुरू कर दिया बल्कि उनके पासपोर्ट को भी जब्त कर लिया ताकि वह भारत लौट न सकें. इसके बाद 2027 में निमिषा ने कथित तौर पर अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए महदी को बेहोश करने की कोशिश की लेकिन ओवरडोज के चलते महदी की मौत हो गई. यमन के अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया और 2018 में हत्या का दोषी ठहराते हुए 2020 में फांसी की सजा सुना दी गई.
इस फैसले के बाद मामला तब और गंभीर हो गया जब दिसंबर 2024 में यमन के राष्ट्रपति ने उनकी फांसी की मंजूरी दे दी और जनवरी 2025 में हूती विद्रोही नेता ने भी इसकी पुष्टि कर दी.