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रांची/डेस्क: आज, (9 अगस्त 2025) को पूरे देश में रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. भाई-बहन का रिश्ता दुनिया में सबसे खूबसूरत रिश्ता है और रक्षाबंधन का त्योहार इस रिश्ते का प्रतीक माना जाता है. भाई और बहन पूरे साल रक्षाबंधन के त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं और इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर रक्षा का वचन ले रही हैं.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रक्षाबंधन बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और स्वस्थ जीवन व लंबी उम्र की कामना करती हैं. भाई को राखी बांधते समय मुहूर्त और दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह बता रहे हैं, इस साल क्या है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और किस दिशा में बांधनी चाहिए राखी? साथ ही जानते हैं राखी बांधते समय किस मंत्र का करना चाहिए उच्चारण.
राखी बांधने का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 08 अगस्त 2025 दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर प्रारंभ हो चुकी हैं और 09 अगस्त को 01 बजकर 24 मिनट तक रहेगी. वहीं, इस बार राखी पर भद्रा का साया नहीं रहेगा. ऐसे में राखी पूरे दिन बांधी जा सकेगी. अगर शुभ मुहूर्त की बात करें तो आज राखी बांधने के तीन शुभ मुहूर्त हैं. पहला मुहूर्त सुबह से लेकर 9 बजे तक, दूसरा दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से लेकर 4 बजकर 30 मिनट तक और तीसरा शुभ मुहूर्त शाम 06 बजे से लेकर 7 बजकर 30 मिनट तक.
किस दिशा में राखी बांधनी चाहिए?
राखी बांधते समय दिशा का खास ख्याल रखाना चाहिए. राखी बंधवाते समय भाई का मुख हमेशा पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए, जबकि बहन का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए. इस बात का ध्यान रखें कि बहन या भाई दोनों में से किसी का मुख भी इस दौरान दक्षिण दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए.
राखी बांधते समय इस मंत्र का करना चाहिए उच्चारण
हिंदू धर्म केवल पूजा-पाठ ही नहीं बल्कि शादी-विवाह और विशेष अनुष्ठानों जैसे कई शुभ मौके पर मंत्रों का विशेष स्थान होता है. यही कारण है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत मंत्रोच्चारण के साथ होती है. राखी का त्योहार भी बेहद शुभ होता है, इसलिए इस दिन भाई को रक्षासूत्र बांधते समय बहन को रक्षाबंधन का मंत्र जरूर पढ़ना चाहिए. बहनें राखी बांधते समय ‘येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:’ इस मंत्र का उच्चारण करें.