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रांची/डेस्क: उत्तर भारत में मानसून की बारिश ने कहर बरपा दिया है और उत्तर प्रदेश इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन गया हैं. लगातार हो रही तेज बारिश ने गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर को इतना बढ़ा दिया है कि प्रयागराज से लेकर बलिया तक के इलाके पानी-पानी हो गए हैं. संगम नगरी प्रयागराज में सड़कों से लेकर मकानों और घाटों तक सब कुछ डूब चुका हैं. हालात इतने बिगड़ गए हैं कि कई इलाकों में लोग अपने नवजात बच्चों को गोद में उठाकर कमर तक पानी में चलते नजर आ रहे हैं.
राज्य के 17 जिले बाढ़ की चपेट में हैं जिनमें से 16 जिलों में गंगा और यमुना का कहर सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा हैं. प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली और बलिया जैसे जिले पानी में डूबे हुए हैं. प्रयागराज के सलोरी, राजापुर, दारागंज, बघाड़ा जैसे इलाके पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं.
संगम के पास का इलाका पूरी तरह जल समाधि में चला गया हैं. बड़ी संख्या में घरों में पानी घुस चुका है और लोग अपने ऊपरी मंजिलों पर शरण लिए हुए हैं. कर्जन पुल, शंकर घाट और रसूलाबाद घाट के आसपास के मकान पूरी तरह डूब चुके हैं. सबसे दर्दनाक तस्वीर बघाड़ा इलाके से सामने आई, जहां एक नवजात को लेकर माता-पिता गहरे पानी से गुजरते नजर आए. प्रयागराज के बड़े हनुमान जी मंदिर की मूर्ति भी जलमग्न हो चुकी हैं. अब केवल मंदिर की धर्मध्वजा ही दिखाई दे रही हैं. शंकर विमान मंडप, जो संगम तट पर स्थित है, वो भी पानी में डूब चुका हैं.
एनडीआरएफ की टीमें लगातार प्रभावित इलाकों में पहुंच रही हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के साथ-साथ उन्हें भोजन, पानी और दवाइयों की आपूर्ति कर रही हैं. प्रतियोगी छात्रों से भरे इलाकों दारागंज, तेलियरगंज, बघाड़ा और सलोरी में बाढ़ का सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा हैं. प्रयागराज के अलावा आगरा, इटावा, औरैया, हमीरपुर, कानपुर देहात, फतेहपुर, बांदा और चित्रकूट में भी यमुना किनारे बसे इलाके बाढ़ से जूझ रहे हैं. फतेहपुर में यमुना ने तीनों तहसीलों को घेर लिया हैं. यहां बिजली सप्लाई तक रोकनी पड़ी है और खाने-पीने के सामान की भारी किल्लत हो रही हैं.
बांदा में केन नदी भी उफान पर है, जो यमुना की सहायक नदी मानी जाती है. जिले के कई गांवों का संपर्क मुख्य मार्गों से टूट चुका हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राहत और बचाव कार्यों की निगरानी के लिए 11 मंत्रियों की टीम बनाई हैं. मंत्री अपने-अपने जिलों में राहत शिविरों और प्रभावित इलाकों का जायजा ले रहे हैं. प्रयागराज और मिर्जापुर की जिम्मेदारी मंत्री नंदगोपाल गुप्ता को सौंपी गई हैं. फिलहाल पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी है और प्रशासन की टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं. लेकिन आसमान से बरसते पानी और उफनती नदियों ने यह साफ कर दिया है कि उत्तर प्रदेश फिलहाल एक गंभीर प्राकृतिक संकट से गुजर रहा हैं.