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सिमडेगा/डेस्क: जंगलो पहाडों से भरे सिमडेगा में इन दिनों जहरीले सांपों का आतंक छाया है. इनके जहर के कहर से कई लोग अपनी जान तक गंवा चुके हैं. जिले में बढता जहर का कहर चिंता का विषय बनता जा रही है.
जंगलों पहाडों के बीच बसे सिमडेगा के ग्रामीण ईलाकों में इन दिनों जहरीले सांपो का आतंक छाया है. बरसात में जमीन के अंदर घुसे हुए सांप बाहर निकल जाते आए हैं और बाहर की गर्मी से बचने के लिए ये लोगों के घरों में घुस जाते हैं. ग्रामीण ईलाकों में इन दिनों अक्सर बडे बडे जहरीले सांप निकल कर लोगों के घरों तक पंहुच रहे हैं. जहां इन विषधरों से अंजान लोग बेवजह इनकी जहर का शिकार हो जाते हैं.
दरअसल सिमडेगा के ग्रामीण ईलाको में लोग ज्यादातर जमीन पर सोते हैं. सांप इनके बिस्तर पर चढ कर इन्हे अपना शिकार बना लेते हैं. सिविल सर्जन डॉ रामदेव पासवान ने बताया कि सिमडेगा सदर अस्पताल की रिकार्ड के अनुसार पिछले 06 महीने में सिर्फ सदर अस्पताल में 135 सर्पदंश के केस आए हैं जिनमें से 11 लोगों की मृत्यु हुई है. दरअसल सिमडेगा के ग्रामीण इलाकों में अभी भी अंधविश्वास पूरी तरह हावी है. जिस कारण लोग सर्पदंश की घटना के बाद मरीज को अस्पताल लाने के बजाय उसका झाड़फूंक करवाते हैं जिसे इलाज में देर होती है और मरीजों की मौत हो जाती है.
इन आंकडों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां जहर का कहर कितना हावी है. ये तो वो मामले हैं जो अस्पताल पंहुचते हैं. यहां तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति यह है कि जब लोगों को सांप डंसता है तो लोग पहले झाडफुंक करवाते हैं. सिमडेगा के ग्रामीण क्षेत्रों में ओझागुणी अपने सब्जबाग से लोगों के दिलो दिमाग पर इस तरह कब्जा जमा लेते हैं कि लोग झाडफुंक के बाद मृत हो जाने पर मरीज का पोस्टमार्टम तक नहीं कराना चाहते हैं. सूत्रों की माने तो ओझा गुणी इनके दिमाग में ये बात बैठा दिए हैं कि सांप ईश्वर के प्रकोप के कारण डंसता है. मौत होने पर शरीर में चीरा लगेगा तो मृतक की आत्मा को शांति नहीं मिलेगा. यही कारण है कि लोग पोस्टमार्टम से भी दुर भागते हैं. पिछले कई केस ऐसे हीं सामने आए हैं जहां सर्पदंश से मृत लोगों का पोस्टमार्टम कराने के लिए पुलिस प्रशासन को लोगों की विरोध का भी सामना करना पडा है.
झाड़ फूंक के चक्कर में जब मामला बिगडता दिखता है तब हीं कुछ ग्रामीण अस्पताल आते हैं. इस चक्कर में कभी कभी पीड़ित को मौत भी हो जाती है और कई मामले सरकारी रिकार्ड में भी नहीं आते हैं.
सिमडेगा जिला प्रशासन भी जिले में बढ़ते सर्पदंश और उसके कारण होने वाली मौत के मामलों से चिंता में है. डीसी सिमडेगा कंचन सिंह से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे जिले में झाड़फूंक करने वालों को चिन्हित कर करवाई करेंगे.
सर्पदंश की घटना के बाद लोग समय पर अस्पताल पंहुच जाएं तो शायद मृत्यु के आकंडो में कमी आ सके. लोगों से हमारी भी अपील है कि सर्पदंश का ईलाज झाडफुंक नहीं है. वे झाडफुंक के चक्कर में न फंसे समय रहते अस्पताल पंहुचे और अपनों की जान बचाएं.